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नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं की बढती संख्या

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर नशीली दवाओं के उपयोग में चिंताजनक वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • 2022 में दुनिया भर में नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं की संख्या 292 मिलियन थी, जो पिछले दशक की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कैनबिस दुनिया भर में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल नकिया जाने वाला नशीला पदार्थ है, जिसके 228 मिलियन उपयोगकर्ता हैं। 
    • इसके बाद ओपिओइड (60 मिलियन उपयोगकर्ता), एम्फ़ैटेमिन (30 मिलियन उपयोगकर्ता), कोकेन (23 मिलियन उपयोगकर्ता) और एक्स्टसी (20 मिलियन उपयोगकर्ता) का स्थान आता है।
  • दुनिया भर में अनुमानित 64 मिलियन लोग नशे से जुड़े विकारों से पीड़ित हैं इसके बावजूद, नशीली दवाओं के उपयोग से होने वाले विकारों से पीड़ित 11 में से केवल एक व्यक्ति को ही उपचार मिल पाता है।
    • महिलाओं को, विशेष रूप से, भारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, नशीली दवाओं के उपयोग से संबंधित विकारों से पीड़ित 18 में से केवल एक महिला को ही उपचार मिल पाता है। 
  • वैश्विक अफीम उत्पादन में भारी गिरावट हुई है। 2023 में अफीम उत्पादन में 74 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। 
    • 2023 में अफीम उत्पादन में अफ़गानिस्तान में सबसे ज्यादा 95 प्रतिशत की कमी हुई है, जबकि म्यांमार में इसका उत्पादन 36 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

अवैध मादक पदार्थों के व्यापार के प्रमुख केंद्र

  • भारत दुनिया के सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादन क्षेत्र गोल्डन क्रीसेंट तथा सबसे बड़े अफीम उपभोग क्षेत्र गोल्डन ट्रायंगल के मध्य में स्थित है।
  • गोल्डन क्रिसेंट : दक्षिण एशिया का यह क्षेत्र अफ़ीम उत्पादन और वितरण के लिए एक प्रमुख वैश्विक स्थल है। इसमें अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान शामिल हैं। 
    • इस क्षेत्र से प्रभावित होने वाले भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात हैं। 
  • गोल्डन ट्राएंगल : यह क्षेत्र भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित है तथा लाओस, म्यांमार और थाईलैंड की सीमा पर मेकांग और रुआक के संगम पर मिलता है।
    • म्यांमार दुनिया की 80% हेरोइन का उत्पादन करता है। उत्पादन के बाद हेरोइन की तस्करी लाओस, वियतनाम, थाईलैंड और भारत के रास्ते अमेरिका, ब्रिटेन और चीन में की जाती है। 

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भारत में नशे की बढती चिंताएं

  • भारत से होकर गुजरने वाली अवैध आपूर्ति इसकी आंतरिक सुरक्षा के साथ समझौता करती है तथा इसके नागरिकों के लिए भी खतरा पैदा करती है।
    • भारत म्यांमार सीमा पर कमजोर सुरक्षा उपाय,  उबड़-खाबड़ इलाका और घने जंगल तस्करों के लिए आसान ठिकाना उपलब्ध कराते हैं। 
    • स्थानीय जनजातियाँ और अन्य निवासी सहानुभूति के कारण आपराधिक गतिविधियों में शामिल होते हैं क्योंकि उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में पर्याप्त गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा है।
  • भारत अन्य देशों के लिए एक बड़ा बाजार और एक पारगमन मार्ग दोनों बनता जा रहा है। दुनिया में नशीली दवाओं की करीब 90 फीसदी मांग गोल्डन क्रीसेंट तथा गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्रों से पूरी की जा रही है। 
  • पंजाब में सरहद पार ड्रग्स और हथियारों की सप्लाई के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की एक नई घटना सामने आई है।
  • भारत आश्चर्यजनक रूप से कोकीन के लिए एक हॉट डेस्टिनेशन बन गया है, जिसे दक्षिण अमेरिकी ड्रग कार्टेल द्वारा नियंत्रित किया जाता है। 
    • कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, हांगकांग और कई यूरोपीय देशों में स्थित NRI के साथ-साथ भारत में स्थानीय ड्रग डीलर्स और गैंगस्टर्स के साथ इन कार्टेलों के संबंध का पता चला है।

क्या किया जाना चाहिए 

  • साक्ष्य-आधारित रोकथाम कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को, विशेषकर युवाओं को, नशीली दवाओं के उपयोग से बचने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करना चाहिए।
  • मादक पदार्थों की तस्करी संगठित अपराध समूहों को सशक्त बनाती है, जो अन्य अवैध अर्थव्यवस्थाओं में भी अपना विस्तार कर रहे हैं, जैसे वन्यजीव तस्करी, वित्तीय धोखाधड़ी और अवैध संसाधन निष्कर्षण आदि, इसलिए इन गतिविधियों पर नियन्त्रण किया जाना चाहिए। 
  • नशीली दवाओं के उपयोग और उसके परिणामों से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। UNODC के अनुसार, इसके लिए रोकथाम, उपचार और इन अवैध गतिविधियों से लाभ कमाने वाले आपराधिक नेटवर्क को बाधित करने के लिए कानून प्रवर्तन को मजबूत करने की आवश्यकता है।
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