प्रारम्भिक परीक्षा – भोपाल आपदा स्थल पर गैर-निस्तारित जहरीला कचरा मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र –1 |
सन्दर्भ
- मध्यप्रदेश सरकार यूनियन कार्बाइड में फैला 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा हटा कर यहां भोपाल गैस त्रासदी में प्रभावित लोगों की याद में हिरोशिमा नगशाकी के तर्ज पर मेमोरियल बनाना चाहती है।
![Incineration](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//Incineration.jpg)
मुख्य बिन्दु
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की चेतावनियों और निर्देशों के बावजूद, यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) परिसर - 1984 भोपाल गैस त्रासदी स्थल पर संग्रहीत 337 मीट्रिक टन (एमटी) खतरनाक कचरे का निपटान अभी तक नहीं किया गया है।
- पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता वाले पैनल ने कचरे के निपटान के लिए मध्य प्रदेश सरकार को 126 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था लेकिन अभी तक इसका निपटारा नहीं किया गया है ।
- आधिकारिक एजेंसियों को भूजल में 6 आर्गेनिक पोलूटेंट्स मिले हैं, जो 100 साल से ज्यादा अपनी विषाक्तता को बनाए रखते हैं।
- ग्रीनपीस की रिपोर्ट में मिट्टी में पारे की मात्रा सुरक्षित स्तरों की तुलना में कई गुना अधिक पाई गई थी जो दिमाग, फेफड़े और गुर्दे को नुकसान पहुंचाने के अतिरिक्त कैंसर कारक हैं।
परीक्षण भस्मीकरण (Trail Incineration)
- यूसीआईएल के अनुसार , भोपाल गैस त्रासदी स्थल पर पहले 346 मीट्रिक टन खतरनाक पदार्थ थे, जिसमें से अगस्त 2015 में पीथमपुर में एक सुविधा में परीक्षण के आधार पर लगभग 10 मीट्रिक टन कचरे को जला दिया गया था। तब से, बहुत कम प्रगति हुई है।
- एनईई-आरआई और नेशनल जियो-फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के 2009 के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, यूसीआईएल साइट में लगभग 1 मिलियन टन दूषित मिट्टी, लगभग 1 टन पारा बिखरा हुआ और लगभग 150 टन भूमिगत डंप का है।
- 2022 में, एनजीटी द्वारा नियुक्त एक समिति ने "मिट्टी के दूषित होने की संभावना" पाई थी और कचरे के "शीघ्र निपटान" का सुझाव दिया था।
- भोपाल आपदा के पीड़ित गैर सरकारी संगठन, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की कार्यकर्ता रचना ढींगरा के अनुसार " 337 मीट्रिक टन, कुल जहरीले कचरे का केवल 0.05% है।"
भोपाल गैस त्रासदी
![bhopal-gas-tragedy](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//bhopal-gas-tragedy.jpg)
- 3 दिसंबर 1984 को, भारत के भोपाल में एक कीटनाशक संयंत्र से 40 टन से अधिक मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ, जिससे तुरंत कम से कम 3,800 लोगों की मौत हो गई और कई हजारों लोगों की महत्वपूर्ण रुग्णता और समय से पहले मौत हो गई। यह एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना थी।
प्रभाव क्या पड़ा ?
- इसका प्रभाव यह हुआ कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणाम जैसे फेफड़े, गुर्दे तथा कैंसर कि समस्या उत्पन्न होने लगी थी।
- औद्योगिक विकास से पर्यावरण के लिए बड़े खतरे उत्पन्न हुए हैं। भारत में महत्वपूर्ण प्रतिकूल मानव स्वास्थ्य परिणामों के साथ पर्यावरणीय समस्या भी बढ़ी है।
- मिथाइल आइसोसाइनेट गैस ने कार्बनिक ऊतकों पर तीव्र प्रतिक्रिया की, जिससे त्वचा और आँखों में रासायनिक जलन हुई।
- भारी गैस स्थानीय नदी और अन्य जल निकायों में समा गई, जिससे यह जहरीला और पीने योग्य नहीं रह गया, जिसके परिणामस्वरूप सभी जलीय जीवन नष्ट हो गए।
- कई फसलों और पौधों को उपभोग और अन्य उपयोग के लिए असुरक्षित घोषित किया गया।
- दिसंबर 1984 की रात को कई ज़मीनी जानवर तुरंत मर गए।
- पिछले कुछ वर्षों में कई गर्भपात और जन्म दोषों की सूचना मिली है।
- अगले कई वर्षों तक इस क्षेत्र में दीर्घकालिक बीमारियाँ व्याप्त हो गईं।
प्रश्न : भोपाल गैस त्रासदी के लिये जिम्मेदार गैस तथा रसायन कौन-कौन से है?
- मिथाइल आसोसाइनेट
- फ़ोस्जिन
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) केवल 1और 2 (d) इनमे से कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मेंस प्रश्न : भोपाल गैस त्रासदी से होने वाली पर्यावरणीय तथा मानवीय प्रभावों की विवेचना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कीजिए?
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