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बाह्य अंतरिक्ष संधि पर यूएनएससी का प्रस्ताव

सन्दर्भ

  • 24 अप्रैल, 2024 को रूस द्वारा बाह्य अंतरिक्ष संधि पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया गया है। 
  • यह प्रस्ताव अमेरिका एवं जापान द्वारा समर्थित था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में केवल रूस ने इसके विरोध में मत किया, जबकि चीन अनुपस्थिति रहा। अन्य सभी 13 सदस्यों ने इसके समर्थन में मत किया। 
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने बाहरी अंतरिक्ष संधि पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को वीटो करने के लिए रूस की आलोचना की है।  

बाह्य अंतरिक्ष संधि

  • बाह्य अंतरिक्ष संधि, औपचारिक रूप से चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में राज्यों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों पर संधि , एक बहुपक्षीय संधि है जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून का आधार बनती है ।
  • संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में संधि पर बातचीत और मसौदा तैयार किया गया, इसे 27 जनवरी 1967 को संयुक्त राज्य अमेरिका , यूनाइटेड किंगडम और सोवियत संघ  के हस्ताक्षर के लिए खोला गया, जो 10 अक्टूबर 1967 को लागू हुआ। वर्तमान में 114 देश संधि के पक्षकार हैं, जिनमें सभी प्रमुख अंतरिक्ष यात्री राष्ट्र शामिल हैं, और अन्य 22 देश हस्ताक्षरकर्ता हैं, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं की है।

बाह्य अंतरिक्ष संधि के प्रमुख सिद्धांत

  • बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग सभी देशों के लाभ और हितों के लिए किया जाएगा और यह सभी मानव जाति के लिए उपलब्ध होगा;
  • बाह्य अंतरिक्ष सभी राज्यों द्वारा अन्वेषण और उपयोग के लिए निःशुल्क होगा;
  • बाह्य अंतरिक्ष संप्रभुता के दावे, उपयोग या कब्जे के माध्यम से, या किसी अन्य माध्यम से राष्ट्रीय विनियोग के अधीन नहीं है;
  • राज्य परमाणु हथियार या सामूहिक विनाश के अन्य हथियार कक्षा में या आकाशीय पिंडों पर नहीं रखेंगे या उन्हें किसी अन्य तरीके से बाहरी अंतरिक्ष में तैनात नहीं करेंगे;
  • चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों का उपयोग विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा;
  • अंतरिक्ष यात्रियों को मानव जाति का दूत माना जाएगा;
  • राज्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होंगे, चाहे वे सरकारी या गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा किए जाएं;
  • राज्य अपनी अंतरिक्ष वस्तुओं से होने वाली क्षति के लिए उत्तरदायी होंगे;
  • राज्यों को अंतरिक्ष और आकाशीय पिंडों के हानिकारक प्रदूषण से बचना चाहिए।

बाह्य अंतरिक्ष संधि पर यूएनएससी का प्रस्ताव

  • इस प्रस्ताव में कानूनी रूप से बाध्यकारी दायित्व रखा गया था कि देशों को परमाणु हथियारों सहित सामूहिक विनाश के हथियार (डब्ल्यूएमडी) को अंतरिक्ष की कक्षा में नहीं रखना चाहिए।
  • इस मसौदा प्रस्ताव में कहा गया है, कि "बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को रोकने से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा टल जाएगा"।
  • रूस ने यूएस-जापान मसौदे में एक संशोधन का प्रस्ताव रखा जिसमें कहा गया कि बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ में सभी प्रकार के हथियारों का उल्लेख होना चाहिए - न कि केवल परमाणु हथियार और सामूहिक विनाश के अन्य हथियार। हालांकि यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका।

नए प्रस्ताव की आवश्यकता क्यों?

  • यद्यपि बाह्य अंतरिक्ष संधि सैन्य अड्डे स्थापित करने, हथियारों का परीक्षण करने और आकाशीय पिंडों पर सैन्य युद्धाभ्यास करने से मना करता है, यह संधि स्पष्ट रूप से अंतरिक्ष में सभी सैन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध नहीं लगाती है, न ही सैन्य अंतरिक्ष बलों की स्थापना या अंतरिक्ष में पारंपरिक हथियारों की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाती है। इन प्रतिबंधों के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया इस संधि में नहीं बताई गई है।
  • किसी राज्य पक्ष द्वारा कक्षा में परमाणु हथियार रखना न केवल बाहरी अंतरिक्ष संधि का उल्लंघन होगा, बल्कि महत्वपूर्ण संचार, वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान, कृषि, वाणिज्यिक और राष्ट्रीय सुरक्षा सेवाओं को खतरे में डाल देगा जो सभी उपग्रह दुनिया भर के समाजों को प्रदान करते हैं। भविष्य में ऐसी कोई विपदा को रोकने के लिए इस प्रस्ताव का बाध्य उत्तरदायी कानून के रूप में परिवर्तित होना अति आवशयक है।
  • यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों का संभावित खतरा बढ़ गया है, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप के सबसे महत्वपूर्ण भूमि संघर्ष को जन्म दिया है और अमेरिका और रूस; दुनिया के दो सबसे बड़े परमाणु सशस्त्र राज्यों के बीच संबंधों को नए निचले स्तर पर भेज दिया है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी परमाणु अंतरिक्ष हथियार में स्पेसएक्स के स्टारलिंक जैसे छोटे उपग्रहों के विशाल समूह को नष्ट करने की क्षमता हो सकती है, जिसका उपयोग यूक्रेन द्वारा रूसी सैनिकों का मुकाबला करने के लिए सफलतापूर्वक किया गया है।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि "भूराजनीतिक तनाव और अविश्वास ने परमाणु युद्ध के खतरे को दशकों में अपने उच्चतम बिंदु तक बढ़ा दिया है, मानवता ओपेनहाइमर की अगली कड़ी से बच नहीं सकती है"।यदि हमे इस भविष्यवाणी से समूची मानव जाति को सुरक्षित रखना है, तो सभी देशों को आपसी मतभेदों से ऊपर उठकर नाभिकीय एवं WMD के साथ-साथ सभी प्रकार के हथियारों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की दिशा में कार्य करना होगा। अन्यथा वह दिन दूर नहीं है, जब मानवता एक बार फिर से पाषाण सभ्यता में पहुँच जाएगी।

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