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विब्रियो वुल्निफिकस (Vibrio vulnificus)

प्रारंभिक परीक्षा -  विब्रियो वुल्निफिकस (Vibrio vulnificus)
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-

चर्चा में क्यों

विब्रियो वुल्निफिकस एक समुद्री जीवाणु है, यह जलवायु परिवर्तन द्वारा निर्मित परिस्थितियों के कारण तटीय आबादी के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।

Vibrio-vulnificus

प्रमुख बिंदु 

  • यह जीवाणु संक्रमण का कारण बन सकता है।
  • विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या सहवर्ती बीमारियों वाले लोगों में इसकी मृत्यु दर उच्च है

विब्रियो वुल्निफिकस से जुड़ी समस्याएँ:

  • शोधकर्ताओं का सुझाव है कि भारत में विब्रियो वुल्निफिकस संक्रमण के मामले कम रिपोर्ट किए जाने की संभावना है।
  •  जलवायु परिवर्तन के कारण बार-बार चक्रवात, भारी वर्षा और बाढ़ आती है, इसलिए तटीय समुदायों को विब्रियो वुल्निफिकस के संपर्क में आने का खतरा बढ़ सकता है।
  • भारत की समुद्री सतह का तापमान विब्रियो वुल्निफिकस के विकास के लिए अनुकूल है।
  •  विब्रियो वुल्निफिकस की मृत्यु दर उच्च है, खासकर जब यह रक्त में प्रवेश करती है।

निवारक उपाय: 

  • शोधकर्ता समुद्र की सतह के तापमान और फाइटोप्लांकटन के स्तर के आधार पर विब्रियो वुल्निफिकस की प्रचुरता का अनुमान लगाने के लिए उपकरण विकसित कर रहे हैं।

क्या है विब्रियो वुल्निफिकस (Vibrio vulnificus)?

  • क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक विब्रियो वुल्निफिकस एक जानलेवा बैक्टीरिया है, जो कच्चा या अधपका सी-फूड खाने पर आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है।
  •  यह खुले घावों को भी संक्रमित कर सकता है।
  •  यह बैक्टीरिया विब्रियोसिस के एक गंभीर रूप का कारण बनता है, जो तेजी से सेप्सिस, शॉक और फफोले या छाले का कारण बन सकता है।

कैसे फैलता है विब्रियो वुल्निफिकस?

  • विब्रियो वुल्निफिकस बैक्टीरिया विब्रियोसिस के सबसे गंभीर रूपों का कारण बनता है।
  •  यह कच्ची शेलफिश (आमतौर पर सीप) खाने से फैलता है। 
  • इसके अलावा यह समुद्री या खारे पानी में  घाव या किसी चोट के संपर्क में आने से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है।

विब्रियो वुल्निफिकस के लक्षण

  • बुखार
  • त्वचा में लालिमा
  • दर्दनाक दाने
  • डायरिया
  • चक्कर आना
  • दिल की तेज धड़कन
  • पस वाले भरे छाले
  • जी मिचलाना

निदान एवं उपचार

  • शरीर के इस बैक्टीरिया के आने के बाद बुखार, दस्त और दाने इस संक्रमण के पहले लक्षण होते हैं।
  •  ऐसे में ब्लड, टिशू, म्यूकस या स्टूल टेस्ट के बाद ही इसका सही निदान किया जा सकता है।

विब्रियो वुल्निफिकस से बचाव

  • विब्रियो वुल्निफिकस से बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि कभी भी अधपका समुद्री भोजन न खाएं।
  • सी-फूड खाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि यह अच्छी तरह से उबाला हुआ और पकाया हुआ हो।
  • पके हुए और बिना पके समुद्री भोजन को एक साथ न रखकर अलग-अलग रखें।
  • मछली जैसे समुद्री भोजन पकाने के बाद हमेशा अपने हाथ अच्छी तरह से धोएं।
  • अगर आपको कोई घाव या खरोंच है, तो समुद्री या खारे पानी से दूर रहें।

प्रश्न:  निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. विब्रियो वुल्निफिकस कच्चा या अधपका सी-फूड खाने से शरीर में प्रवेश करता है।
  2. विब्रियो वुल्निफिकस एक समुद्री जीवाणु है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

 (a) केवल 1  

(b) केवल 2  

(c) कथन 1 और 2 

(d) न तो 1 ना ही 2 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : जलवायु परिवर्तन के न केवल आपदाओं को जन्म दिया है वरन नवीन रोगों एवं रोगजनकों को भी जन्म दिया है।टिप्पणी कीजिए।

स्रोत: डीटीई

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