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विज़न 2035 : भारत में जन स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी

(प्रारंभिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास- सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र – 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, नीति आयोग ने ‘विज़न 2035 : भारत में जन स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी’ नाम से एक श्‍वेत पत्र जारी किया है।

विज़न 2035 के प्रमुख लक्ष्य

  • भारत की जन स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी प्रणाली को अधिक प्रतिक्रियाशील और भविष्‍योन्‍मुखी बनाकर प्रत्येक स्‍तर पर कार्रवाई करने की तैयारी को सुदृढ़ करना।
  • बीमारियों की पहचान, बचाव और नियंत्रण को बेहतर बनाने के लिये केंद्र और राज्यों के बीच डाटा-शेयरिंग तंत्र को उन्नत बनाना।
  • ग्राहक फीडबैक तंत्र से युक्त नागरिकों के अनुकूल (Citizen-Friendly) जन स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी प्रणाली के माध्यम से लोगों की निजता और गोपनीयता को सुनिश्चित करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जन स्वास्थ्य आपदाओं पर भारत के क्षेत्रीय और वैश्विक नेतृत्व का निर्धारण करना।

विज़न 2035 का महत्त्व

  • इसके अंतर्गत व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड को निगरानी का आधार बनाकर सुझाव देने की प्रणाली पर बल दिया गया है, जिससे स्वास्थ्य सम्बंधी आँकड़ों में पारदर्शिता आने से विश्वसनीय आँकड़े प्राप्त हो सकेंगे।
  • इसके तहत त्रिस्‍तरीय जन स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था को आयुष्‍मान भारत कार्यक्रम के साथ संलग्न कर जन स्वास्थ्य निगरानी के लिये भारत के दीर्घकालिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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विज़न 2035 में सार्वजानिक स्वास्थ्य निगरानी में अंतराल वाले क्षेत्रों के लिये समाधान

  • भारत में स्वास्थ्य निगरानी गतिविधियों के लिये समर्पित एक कुशल और मज़बूत स्वास्थ्य कार्यबल का निर्माण किया जाना चाहिये। साथ ही मानव, पशु, पौधे और पर्यावरण के एकसाथ अवलोकन के लिये एकीकृत स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर आधारित प्रणाली के निर्माण पर बल दिये जाने की आवश्यकता है।
  • केंद्र और राज्यों के सहयोग पर आधारित स्वास्थ्य सम्बंधी शासन व्यवस्था की निगरानी के लिये एक मज़बूत तंत्र की स्थापना की जानी चाहिये।

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  • डाटा विश्लेषण की नई तकनीकों, डाटा विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मशीन लर्निंग के बेहतर उपयोग से सटीक तथा वास्तविक समय में स्वास्थ्य सम्बंधी आँकड़े प्राप्त किये जा सकते हैं।
  • मॉलिक्यूलर आधारित निदान, जीनोटाइपिंग और फेनोटाइपिंग सहित नई नैदानिक तकनीकों के साथ प्रयोगशालाओं की क्षमताओं को मज़बूत किया जाना चाहिये।

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निष्कर्ष

मानव-पशु-पर्यावरण के बीच बढ़ते सम्‍पर्क के चलते नई बीमारियों की शीघ्र पहचान कर संक्रमण के प्रसार की शृंखला को तोड़ने के लिये एक लचीली स्वास्थ्य निगरानी व्‍यवस्‍था के निर्माण की दिशा में यह विज़न दस्‍तावेज एक सराहनीय कदम है।

महत्त्वपूर्ण शब्दावली

  • जीनोटाइपिंग- किसी व्यक्ति के डी.एन.ए. अनुक्रम को दूसरे व्यक्ति के अनुक्रम या संदर्भित अनुक्रम से तुलना करके उसके आनुवंशिक मेक-अप (जीनोटाइप) में अंतर निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
  • फेनोटाइपिंग- यह जीनोटाइपिंग या डी.एन.ए. अनुक्रमण से एकत्र केवल आनुवंशिक जानकारी का उपयोग करके किसी जीव के समग्र लक्षणों का पूर्वानुमान लगाने की प्रक्रिया है। इस शब्द को ‘मॉलिक्यूलर फोटोफिटिंग’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • मॉलिक्यूलर निदान- यह जीनोम और प्रोटिओम में जैविक मार्करों का विश्लेषण करने के लिये उपयोग की जाने वाली तकनीकों का एक संग्रह है।
  • जैविक मार्कर- यह किसी की जैविक स्थिति का एक संकेतक होता है। सामान्य जैविक तथा रोगजनक प्रक्रियाओं या चिकित्सीय हस्तक्षेप से दवाओं की प्रतिक्रियाओं की जाँच करने के लिये इनका मूल्यांकन किया जाता है।
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