(प्रारम्भिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, आदि; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से सम्बंधित विषय)
संदर्भ
- भारत में विश्व की सबसे अधिक युवा आबादी निवास करती है, जिसे शिक्षित करके अर्थव्यवस्था के लिये उपयोगी बनाना कठिन कार्य है। कोविड-19 के कारण सभी को शिक्षा मुहैया कराना तथा कौशल विकास सम्बंधी कार्यों का प्रशिक्षण देना और भी चुनौतीपूर्ण है।
- एक सर्वेक्षण के अनुसार नई नौकरियों में विश्वविद्यालयों के स्नातकों की अपेक्षा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थी अधिक भुगतान प्राप्त करने में सक्षम हैं। साथ ही, व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों को नौकरी प्राप्त करने में भी अपेक्षाकृत कम समय लगता है।
समस्याएँ
- भारत में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु-वर्ग के बच्चों के लिये मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। इसके तहत दी जाने वाली शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा तथा कौशल विकास की तुलना में पुस्तकीय ज्ञान और लिखित परीक्षाओं पर अधिक केंद्रित है।
- एक तरफ जहाँ व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रमों की सर्वसुलभता नहीं है, वहीं तकनीकी और कौशल विकास से सम्बंधित कार्यक्रम केवल शहरी आबादी तक ही सीमित हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी पहुँच नगण्य है।
भारत में कौशल विकास के तहत आने वाले बढ़ई तथा दर्जी जैसे पेशों को लेकर लोगों में कम रुची देखी गई है। साथ ही, इन कार्यों को सामाजिक रूप से निम्न कोटि का माना जाना भी एक चुनौती है।
सरकार के प्रयास
- पिछले एक दशक में भारत में कौशल विकास सम्बंधी पारिस्थितिकी तंत्र में तेज़ी से परिवर्तन हुए हैं। वर्ष 2009 में राष्ट्रीय कौशल विकास नीति की शुरुआत की गई थी, कौशल विकास से सम्बंधित चुनौतियों तथा मानकों को ध्यान में रखते वर्ष 2015 में इसे नए सिरे से शुरू किया गया।
- इसके कुछ समय पश्चात् ही भारत को ‘विश्व का कौशल केंद्र’ स्थापित करने के उद्देश्य से ‘कौशल भारत मिशन’ शुरू किया गया। इसके तहत गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास पर बल दिया गया।
- शिक्षा क्षेत्र में सुधार हेतु नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भी कई कदम उठाए गए हैं। इसके अंतर्गत, वर्ष 2025 तक 50% शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। साथ ही, कक्षा 6 से ही स्थानीय अर्थव्यवस्था से सम्बंधित पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाएगा।
आगे की राह
- हाल ही में, यूनेस्को द्वारा जारी ‘स्टेट ऑफ़ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया-2020’ भारत की व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण पर केंद्रित है, इसमें भारत के कौशल विकास क्षेत्र में उभरती हुई चुनौतियों का ज़िक्र किया गया है। साथ ही, इसमें नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने पर भी ज़ोर दिया गया है।
- भारत में व्यावहारिक शिक्षा प्रारूपों, जैसे- तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण (Technical and Vocational Education and Training- TVET) कार्यक्रमों को लागू किया जाना चाहिये।
- कौशल विकास क्षेत्र से सम्बंधित आँकड़ों के एकत्रीकरण तथा विश्लेषण पर आधारित गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू किया जा सकेगा।
- कौशल विकास तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा दिये जाने से जनसांख्यिकीय लाभांश में वृद्धि होगी, जिससे राष्ट्रीय आय के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होगी।
- कौशल विकास तथा व्यावसायिक शिक्षा प्रणालियों में अंतर-मंत्रालयी सहयोग के माध्यम से एक मज़बूत समन्वय तंत्र की आवश्यकता है, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को भी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- लोगों ने वर्तमान समय के लिये आवश्यक कौशल या तो नौकरी के दौरान सीखे हैं या फिर व्यावहारिक अनुप्रयोग पर केंद्रित पाठ्यक्रमों के आधार पर। इससे पता चलता है कि व्यावसायिक शिक्षा व्यवहारिक कौशल प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है।