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व्हाइट गुड्स : भारत में इसका भविष्य

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-2 ; आर्थिक विकास : संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा विकास से संबंधित विषय)

चर्चा में क्यों

भारत में अन्य देशों की तुलना में उपभोक्ता उपकरणों की पहुँच काफी कम है, जबकि देश में एक  बड़ा एवं अप्रयुक्त बाज़ार उपलब्ध है। इससे माना जा रहा है कि भारतीय बाज़ार ‘व्हाइट गुड्स’ उद्योग के लिये बेहतर अवसर के साथ-साथ उचित माहौल भी उपलब्ध कराएगा।

व्हाइट गुड्स

  • ‘व्हाइट गुड्स’ के अंतर्गत एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, ड्रायर, डिशवॉशर, एल.ई.डी. लाइट्स जैसे उपकरण शामिल हैं। सामान्यतः इनका रंग सफेद होने के कारण इन्हें ‘व्हाइट गुड्स’ की संज्ञा दी जाती है।
  • इनसे संबंधित उद्योग अत्यधिक केंद्रीकृत प्रवृत्ति के हैं, जिसमें शीर्ष पाँच कंपनियों की बाज़ार हिस्सेदारी वाशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर के लिये 75% और एयर कंडीशनर के लिये 55-60% तक है।

वैश्विक स्तर पर व्हाइट गुड्स उद्योग तथा भारत

  • वर्तमान में भारतीय उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ार की कीमत लगभग 10.93 अरब डॉलर है। घरेलू विनिर्माण ने अनुप्रयोज्य (Applicable) वस्तु और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में 4.61 अरब डॉलर का योगदान दिया है।
  • वैश्विक उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के वर्ष 2017 से 2022 तक 9% की दर से बढ़कर 48.37 अरब डॉलर होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, भारतीय उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के वर्ष 2019 के स्तर से 11% बढ़कर वर्ष 2025 तक दौरान 21.18 अरब डॉलर तक होने की संभावना है।

भारत में व्हाइट गुड्स उद्योग का भविष्य

  • भारत में उपभोक्ता वस्तुओं का बाज़ार लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में सरल और सुविधाजनक उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में तेज़ी आई है, जिससे प्रमुख ब्रांड्स ने स्थानीय विनिर्माण  की ओर रुख किया है।
  • वर्ष 2025 तक, भारत में एयर कंडीशनर का बाज़ार 2.5 गुना, रेफ्रिजरेटर का बाज़ार 2 गुना, वाशिंग और लॉन्ड्री मशीन का बाज़ार 2 गुना और एल.ई.डी. का बाज़ार 2.25 गुना होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण बढ़ने और ऑनलाइन बिक्री की व्यापक सुविधा से भी इनकी मांग में वृद्धि होगी, जिससे ग्रामीण बाज़ारों में रेफ्रिजरेटर और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं की मांग भी बढ़ेगी।
  • भारत में उद्योगों की स्थापना हेतु बेहतर बुनियादी ढाँचा पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध है,  इस संदर्भ में हाल के वर्षों में कई नए औद्योगिक पार्क भी स्थापित किये गए हैं।
  • साथ ही, भारत में उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिये 100 फ़ीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की भी अनुमति है। अतः एक बड़े बाज़ार की उपलब्धता के साथ भारत में इस उद्योग के विकास हेतु असीमित संभावनाएँ विद्यमान हैं।
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