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श्रमिक आवास : विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं की कुंजी

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय अर्थव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाना, वृद्धि, विकास एवं रोजगार, औद्योगिक नीति में बदलाव और औद्योगिक विकास पर उनके प्रभाव से संबंधित मुद्दे)

संदर्भ

  • भारत में बड़े पैमाने पर विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए श्रमिकों के आवास के मुद्दे को संबोधित करना व्यावहारिक एवं नैतिक दोनों अर्थों में महत्वपूर्ण है।
  • विनिर्माण क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 17% का योगदान देता है और 27.3 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है, इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

विनिर्माण संबंधी लक्ष्य 

  • वर्ष 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाना 
  • विनिर्माण की हिस्सेदारी को सकल घरेलू उत्पाद के 15% से बढ़ाकर 25% करना
  • उत्पादन की प्रति इकाई अधिक रोजगार प्रदान करना 
  • विनिर्माण क्षेत्र में चार गुना वृद्धि करने की आवश्यकता  

विनिर्माण में श्रम की भूमिका 

श्रम, उत्पादन का एक सक्रिय कारक है। केवल भूमि एवं पूंजी से ही उत्पादन प्रारंभ नहीं हो सकता है, इसलिए वे निष्क्रिय कारक हैं। उन्हें स्वयं उत्पादक होने के लिए उत्पादन के सक्रिय कारक यानी श्रम की आवश्यकता होती है।

विनिर्माण क्षेत्र में श्रमिकों के समक्ष चुनौतियां  

  • बुनियादी ढांचे का अभाव : भारत की लगभग फैक्टरियों में एकीकृत श्रमिक आवास का अभाव है जिसके कारण श्रमिक अक्सर कारखानों से दूर मलिन बस्तियों में रहते हैं, जिससे उनकी उत्पादकता एवं सुरक्षा (विशेषकर महिलाओं की) प्रभावित होती है। 
  • श्रम की उपेक्षा : विनिर्माण में पूंजी एवं भूमि पर ध्यान दिया जाता है, जबकि श्रमिकों की आवश्यकताओं को प्राय: नजरअंदाज कर दिया जाता है।
  • परिवहन संबंधित समस्या : श्रमिक कारखाने तक जाने के लिए लंबी यात्राएँ करते है जिससे लागत के साथ-साथ उत्पादकता की समस्या आती है। यह श्रमिकों को काम शुरू करने से पहले ही थका देती है।
    • उदाहरणस्वरुप बेंगलुरु में परिवहन लागत प्रति कर्मचारी प्रतिमाह 5,000 रुपये से अधिक होती है।

श्रमिकों की स्थिति में सुधार के उपाय 

  • परिसर या कारखानों के निकट सुरक्षित श्रमिक आवास का निर्माण करना। 
    • इसमें प्रबंधकों एवं पर्यवेक्षी कर्मियों से लेकर प्रवेश स्तर तक के श्रमिकों के लिए शयनगृह को शामिल करना होगा। 
    • यह कौशल, उत्पादकता एवं क्षरण से संबंधित सभी पहलुओं को सशक्त करेगा।
  • अन्य देशों की श्रमिक आवास संबंधी योजनाओं को लागू करना। 
    • उदाहरण के लिए, फॉक्सकॉन ने 3,00,000 से अधिक श्रमिकों के लिए शयनगृह का निर्माण किया हैं। 
    • एप्पल आवास योजना ने भारत में पिछले ढाई वर्षों में 150,000 प्रत्यक्ष नौकरियां प्रदान की हैं। साथ ही, कारखाने के कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधाएं प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित किया। 
      • इसका उद्देश्य दक्षता बढ़ाना एवं विशेष रूप से प्रवासी महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षा प्रदान करना है।  
  • कोरियाई मॉडल के तर्ज़ पर कड़े श्रम कानूनों एवं श्रमिक-अनुकूल नीतियों को लागू करना।
  • मेक इन इंडिया एवं उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) जैसी पहलों का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर करना। 

विनिर्माण क्षेत्र में श्रमिक आवास की विशिष्ट सुविधा के नीतिगत निहितार्थ 

  • भूमि आवंटन में कारखाने के निर्माण के साथ-साथ श्रमिकों के आवास को भी शामिल करना चाहिए।
    • इसके लिए राज्य स्तर पर औद्योगिक भूमि आवंटन विनियमन में बदलाव की आवश्यकता होगी। 
  • केंद्र सरकार को श्रमिकों के आवास में निवेश के लिए जी.एस.टी. कटौती और अन्य राजकोषीय प्रोत्साहन जैसे सही कर प्रोत्साहन की पेशकश करके इस सक्षम बुनियादी ढांचे को उत्प्रेरित करना चाहिए। 
  • इस बुनियादी ढांचे के निर्माण वित्त के लिए इसे प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल करना और इस क्षेत्र में विश्वसनीय परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (NIIF) जैसी योजनाओं के माध्यम से सहयोगात्मक वित्तपोषण से अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।
  • शीर्ष स्तर के कर्मचारियों के लिए आवास की व्यवस्था करने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र की संस्थाओं के नेतृत्व की आवश्यकता होगी। 
  • आर्थिक कारक, जैसे- परिवहन व्यय में कमी, उत्पादकता में वृद्धि, प्रशिक्षण क्षमताओं में वृद्धि, कार्यबल में कमी एवं कार्बन फुटप्रिंट में कमी आदि पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • निष्कर्ष 

भारत की विनिर्माण क्षमता को उजागर करने की कुंजी न केवल सही नीतियां स्थापित करने में बल्कि इसके कार्यबल के सशक्तिकरण में भी निहित है। केंद्र, राज्य एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच यह त्रिकोणीय नेतृत्व इस महत्वपूर्ण एजेंडे को पूरा करने में मदद कर सकता है। 

राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (National Investment and Infrastructure Fund : NIIF)

  • यह भारत सरकार द्वारा देश में अवसंरचना क्षेत्र की वित्तीय समस्याओं का समाधान करने और वित्तपोषण सुनिश्चित करने के लिए निर्मित किया गया एक कोष है।
  • इसकी स्थापना 40,000 करोड़ रुपए की मूल राशि के साथ की गई थी। 
    • इसमें 49% हिस्सेदारी भारत सरकार की तथा शेष हिस्सेदारी विदेशी एवं घरेलू निवेशकों की है।
  • उद्देश्य : अवसंरचना परियोजनाओं को वित्त पोषण प्रदान करना 
  • मुख्यालय : दिल्ली

मेक इन इंडिया (Make in India)

  • राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में निर्माण कार्य प्रारंभ करने के लिए भारत सरकार द्वारा 25 सितंबर, 2014 को 'मेक इन इंडिया' अभियान की शुरुआत की गई। 
  • उद्देश्य :
    • विनिर्माण क्षमता को प्रतिवर्ष 12% से 14% तक बढ़ाना 
    • विनिर्माण क्षेत्र में 25% तक की वृद्धि दर प्राप्त करना
    • वर्ष 2025 तक जी.डी.पी. में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 16% से 25% करना वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार सृजन करना  
  • चार स्तंभ :
    • नई प्रक्रियाएँ : नई प्रक्रियाओं के अंतर्गत किसी कारोबार एवं व्यवसाय के संपूर्ण संचालन के लिए उद्योग को लाइसेंस मुक्त एवं विनियमन मुक्त किया जाएगा।
    • नई अवसंरचना : नई अवसंरचना का मुख्य उद्देश्य आधुनिक हाई स्पीड संचार और एकीकृत लॉजिस्टिक्स व्यवस्था के प्रौद्योगिकी पर आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर को उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक कॉरिडोर एवं स्मार्ट सिटीज का विकास करना है।
    • नए क्षेत्र : मेक इन इंडिया में 25 ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है जिसमें विनिर्माण, अवसंरचना एवं सेवा संबंधी कार्यकलाप किये जाएंगे।  
    • नया दृष्टिकोण : सरकार उद्योगों के विनियामक की भूमिका के स्थान पर उद्योगों के विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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