प्रारंभिक परीक्षा – ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत का पहला 'शहर-विशिष्ट ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग एक्शन प्लान' (ZCBAP) नागपुर में लॉन्च किया गया।
![ZCBAP](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//ZCBAP.jpg)
प्रमुख बिंदु
- नागपुर के ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना (ZCBAP) का लक्ष्य वर्ष 2050 तक सभी इमारतों को नेट ज़ीरो कार्बन इमारतें बनाना है।
नागपुर का ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना (ZCBAP):
- ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना (ZCBAP) को नागपुर स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NSSCDCL) द्वारा नागपुर नगर निगम (NMC) के साथ वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI), ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी (GEF), यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP), ICLEI (International Council for Local Environmental Initiatives) के सहयोग से विकसित किया गया है।
- इस योजना में सार्वजनिक भवनों, सरकारी आवास, वाणिज्यिक भवनों के साथ-साथ घरों को शामिल करने वाला एक समग्र रोडमैप वर्ष 2050 तक शहर में नेट-शून्य इमारतों को प्राप्त करने के लिए एक कार्यान्वयन रणनीति शामिल है।
![zero-corbon](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//zero-corbon.jpg)
- यह बिल्डिंग सेक्टर डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने का एक अग्रणी प्रयास भी है, जो वर्ष 2070 तक भारत के शुद्ध शून्य लक्ष्य में योगदान देता है।
- इसे जीरो कार्बन बिल्डिंग एक्सेलेरेटर (ZCBA) प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
- जीरो कार्बन बिल्डिंग एक्सेलेरेटर (ZCBA) प्रोजेक्ट वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) ने वैश्विक भागीदारों के साथ वर्ष 2021 में लॉन्च किया था।
- नागपुर उन छः वैश्विक शहरों में से एक है, जहां जीरो कार्बन बिल्डिंग एक्सेलेरेटर (ZCBA) प्रोजेक्ट लागू किया जा रहा है।
- अन्य शहर केन्या, कोस्टा रिका, तुर्की और कोलंबिया के हैं।
ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग एक्शन प्लान' (ZCBAP) की आवश्यकता:
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- भारत में भवन संबंधी ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन वर्ष 2000 से वर्ष 2017 के बीच दोगुने से अधिक हो गया है।
- यह अनुमान है कि अगले 20-30 वर्षों में भारत के इस्पात और सीमेंट उद्योग से ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन क्रमशः लगभग तीन तथा छः गुना बढ़ने का अनुमान है।
- भारत में ईंट भट्टे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और अन्य कण (Particulate) उत्सर्जन के अन्य प्रमुख स्रोत हैं।
- यह योजना भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) जो वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की जीएचजी उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए देश की दीर्घकालिक रणनीति को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- नागपुर का ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना (ZCBAP) राष्ट्रीय नीतिगत फ्रेमवर्क्स और विकार्बनीकरण (Decarbonization) में सहायता करने वाली पहलों पर आधारित है।
राष्ट्रीय नीतियों के साथ संयोजन:
- नागपुर का ZCBAP मौजूदा राष्ट्रीय नीतिगत निर्देशों और डीकार्बोनाइजेशन (विकार्बनीकरण) की दिशा में भारत के प्रयासों के अनुरूप है। इनमें शामिल हैं:
- भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions)
- भारत की दीर्घकालिक निम्न-कार्बन विकास रणनीति
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता, 2017
- ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग सिस्टम जैसे:
- इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC)
- ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट (GRIHA)
- इको-निवास संहिता 2018
- ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना
ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना (ZCBAP) के लाभ:
- इससे भारी मात्रा में बिजली की बचत एवं कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण में कमी होगी।
- यह शहर को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में सहायक होगा और अन्तराष्ट्रीय मंच पर भारत के नेतृत्व की स्थिति को भी मजबूत करेगा।
- ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग रणनीतियों से निर्माण तथा रखरखाव में होने वाले वायु प्रदूषण को सीमित किया जा सकता है।
- स्वच्छ ऊर्जा और हरित निर्माण क्षेत्रों में कुशल नौकरियों का बाजार खुलने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
जीरो कार्बन बिल्डिंग (ZCB):
- जीरो कार्बन बिल्डिंग्स पारंपरिक भवनों से अलग निर्माण से लेकर रखरखाव और सम्पूर्ण जीवन-चक्र में पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालते हुए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करते हैं।
- ये इमारतें कई तरीकों से कार्बन पदचिन्ह (carbon footprint) को कम करने का कार्य करती हैं।
- ज़ीरो कार्बन के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए ग्रीन बिल्डिंग निवासियों या उपयोगकर्ताओं के लिए आराम और सुविधा के साथ समझौता नहीं करती।
- इसमें ऊर्जा कुशल प्रणालियाँ का समावेश होता है जैसे: ऊर्जा दक्ष प्रकाश व्यवस्था, ऊष्मीय निष्पादन (Thermal performance) को बेहतर करने वाली सामग्री, स्वचालित जलवायु नियंत्रण आदि।
- इसमें नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग होता है जैसे: सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों या अन्य हरित ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग।
- इसमें टिकाऊ निर्माण सामग्री एवं कम कार्बन उत्सर्जन वाली निर्माण प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है।
- इसमें पानी का बेहतर प्रबंधन, वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण जैसी प्रणालियाँ भी शामिल होती है।
- इनसब के अतिरिक्त ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग परियोजनाएं न केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करती हैं बल्कि इनके साथ कई सह-लाभ (co-benefits) भी जुड़े हैं:
- विजुअल और थर्मल कम्फर्ट में सुधार: इमारत के भीतर सही तापमान और प्राकृतिक प्रकाश की उचित व्यवस्था रहने वालों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।
- हवा की गुणवत्ता में सुधार क्योंकि ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग के डिज़ाइन में वेंटिलेशन के माध्यम से हवा के आदान-प्रदान पर ध्यान दिया जाता है।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- हाल ही में भारत का पहला 'शहर-विशिष्ट ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग एक्शन प्लान' (ZCBAP) नागपुर में लॉन्च किया गया।
- जीरो कार्बन बिल्डिंग एक्सेलेरेटर (ZCBA) प्रोजेक्ट वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) ने वैश्विक भागीदारों के साथ वर्ष 2021 में लॉन्च किया था।
- इससे भारी मात्रा में बिजली की बचत एवं कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण में कमी होगी।
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग कार्य योजना क्या है ? इसके प्रमुख निहितार्थों का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया