पूर्वोत्तर भारत में मिज़ोरम के चार ज़िलों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) के व्यापक प्रकोप को देखते हुए इन्हें इस बीमारी का अधिकेंद्र (Epicentre) घोषित कर दिया गया है। वस्तुतः ए.एस.एफ. के चलते एक महीने के अंदर इस क्षेत्र में 1,119 सुअरों की मौत हो चुकी है।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर एक संक्रामक एवं अत्यधिक घातक पशु रोग है। यह घरेलू एवं जंगली सूअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से सूअर एक तीव रक्तस्रावी ज्वर (Haemorrhagic fever) के शिकार हो जाते हैं। पहली बार इसे 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था, इसीलिये इसे 'अफ्रीकी स्वाइन फीवर' कहते हैं।
ध्यातव्य है कि ए.एस.एफ. का खतरा इंसानों को नहीं होता क्योंकि इसका संक्रमण सिर्फ पशुओं में होता है। इस रोग में मृत्यु दर सौ फीसदी है क्योंकि इसका कोई उपचार नहीं है। अतः इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र उपाय पशुओं को मारना है।
पूर्वोत्तर भारत में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पहला मामला वर्ष 2020 के मध्य में अरुणाचल प्रदेश में देखा गया। विगत वर्ष इसकी वजह से अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में 17,000 से अधिक सूअरों की मौत हो गई थी।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, अफ्रीकी स्वाइन फीवर वैश्विक खाद्य सुरक्षा एवं घरेलू आय के लिये बड़ा संकट उत्पन्न कर सकता है।