अफ्रीकन स्वाइन फीवर वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डी.एन.ए. वायरस है। यह असफ़रविरिडे (Asfarviridae) परिवार से संबंधित है। यह घरेलू एवं जंगली सुअरों में तीव्र रक्तस्रावी ज्वर (Haemorrhagic Fever) का कारण होता है।
‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ एक संक्रामक एवं घातक पशु रोग है। यह मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता किंतु वे इसके वाहक हो सकते हैं। इसका कोई उपचार नहीं है इस कारण इससे होने वाली मृत्यु दर सौ फीसदी है।
इसे पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था, इसीलिये इसे 'अफ्रीकी स्वाइन फीवर' कहते हैं।
केरल के वायनाड ज़िले में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रसार को रोकने के लिये लगभग 500 सुअरों के मारे जाने के एक हफ्ते बाद कन्नूर में रोग के नए मामले सामने आए हैं।