अम्बुबाची मेले का आयोजन असम (गुवाहाटी) के कामाख्या मंदिर में वार्षिक रूप से किया जाता है। इस मेले का आयोजन मानसून के मौसम में असमिया माह 'अहार' के दौरान (जून के मध्य) किया जाता है।
- नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो शक्ति पंथ के अनुयायियों के लिये पवित्र स्थल है। प्रत्येक शक्तिपीठ माता सती (शिव की पत्नी) के शरीर के एक अंग का प्रतिनिधित्व करती है।
- इस मेले को पूर्व का कुम्भ तथा तांत्रिक प्रजनन उत्सव (पूर्व में प्रचलित 'तांत्रिक शक्ति पंथ' से निकटता के कारण) के नाम से भी जाना जाता है ।
- इस मेले का आयोजन देवी कामाख्या की रजस्वला अवधि के दौरान किया जाता है, जो कि देवी कामाख्या की प्रजनन क्षमता का प्रतीक है। इस अवधि को उत्सव की तरह मनाया जाता है, यही कारण है कि असम में लड़कियों के नारीत्व प्राप्ति को एक रस्म या उत्सव की तरह मनाया जाता है, जिसे तुलनी बया अर्थात 'छोटी शादी' कहते हैं।
- मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने तथा इसके सम्बंध में स्वच्छता को बढ़ावा देने के कारण अम्बुबाची मेले का सामाजिक महत्त्व है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के कारण, विगत 6 शताब्दियों में पहली बार इस वर्ष मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा, परंतु मंदिर से जुड़े पुजारी अपने-अपने घरों में इससे जुड़े अनुष्ठानों का आयोजन करेंगे।