भारतीय विज्ञान, शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) कोलकाता के शोधकर्ताओं ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर के सहयोग से पीजोइलेक्ट्रिक मॉलिक्यूलर क्रिस्टल विकसित किये हैं, जो बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उपकरण में होने वाली यांत्रिक क्षति को स्वयं ठीक करने में सक्षम हैं।
‘पीजोइलेक्ट्रिक मॉलिक्यूलर’ को बाइपाइराज़ोल ऑर्गेनिक क्रिस्टल के नाम से जाना जाता है। यह क्रिस्टल पदार्थों का एक समूह है, जो यांत्रिक प्रभाव से गुज़रने पर विद्युत उत्पन्न करता है। किसी उपकरण में यांत्रिक टूटफूट होने पर ये अणु विद्युत आवेशों की सहायता से मिलीसेकंड में स्वयं क्रिस्टलोग्राफिक परिशुद्धता के साथ पुनर्संयोजित हो जाते हैं।
दैनिक उपयोग में आने वाले उपकरण जो सामान्यता यांत्रिक क्षति के कारण खराब हो जाते हैं, जिससे उनकी मरम्मत कराने या उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है। इससे उपकरण के रखरखाव की लागत में वृद्धि के साथ उनका जीवनकाल कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त कई मामलों, जैसे अंतरिक्ष यान की मरम्मत के लिये मानव की मौजूदगी संभव नहीं है।
पीजोइलेक्ट्रिक ऑर्गेनिक क्रिस्टल की उत्कृष्टता की जाँच तथा माप के लिये अत्याधुनिक पोलराईजेशन माइक्रोस्कोपिक सिस्टम का उपयोग किया गया है। अणु या आयन की पूर्ण आंतरिक व्यवस्था वाले इस पदार्थ को ‘क्रिस्टल’ कहा जाता है। यह प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।