‘ब्लू स्ट्रैगलर्स’ खुले या गोलाकार समूहों में निर्मित तारों का एक ऐसा समूह है, जो अन्य तारों की तुलना में अपेक्षाकृत बड़े एवं नीले रंग के होने के कारण भिन्न दिखाई देते हैं। तारों की उत्पत्ति का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों के लिये यह समूह चिंता का विषय बना हुआ है।
भारतीय शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके द्वारा अध्ययन किये गए नमूनों में से आधे का निर्माण एक समीपस्थ द्वि-ध्रुवीय (बाइनरी) तारे के बड़े पैमाने पर द्रव्य स्थानांतरण के माध्यम से होता है, जबकि एक-तिहाई ब्लू स्ट्रैगलर्स की उत्पत्ति संभवतः दो तारों के मध्य टकराव से तथा शेष का उद्भव दो से अधिक तारों की परस्पर क्रिया के फलस्वरूप होता है।
तारामंडल में विद्यमान एक ही बादल से एक निश्चित अवधि में उत्पन्न तारों का कोई समूह मूल समूह से पृथक होकर दूसरे समूह का निर्माण कर लेता है। इनमें से प्रत्येक तारा समय के साथ अपने द्रव्यमान के आधार पर भिन्न-भिन्न आकार में विकसित होता है, जिनमें सबसे विशाल व चमकीले तारे विकसित होने के बाद मुख्य अनुक्रम से दूर हट जाते हैं। इसके कारण उनके मार्ग में एक प्रकार का मोड़ उत्पन्न होता है, जिसे टर्नऑफ़ के रूप में जाना जाता है।
ब्लू स्ट्रैगलर के इस पहले व्यापक विश्लेषण को रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की मासिक नोटिस पत्रिका में प्रकाशित किया गया था, जिसमें शोधकर्ताओं ने इन स्ट्रैगलर्स के द्रव्यमान की तुलना टर्नऑफ तारों के समूह में उपस्थित सबसे विशाल ‘सामान्य तारे' से की।