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बोमा कैप्चरिंग तकनीक (Boma Capturing Technique)

• बोमा कैप्चरिंग तकनीक, जंगली जीवों के स्थानांतरण (Wild Life Shifting) की प्रक्रिया है जिसमें ’फ़नल’ या ‘वी आकार’ (बोमा) के बाड़ में जानवरों को प्रवेश कराते हैं। जानवरों को भ्रमित करने के लिये बोमा में घास की चटाई और हरे रंग के जाल लगाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में जानवरों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचता।

• बाड़ को एक तरफ चौड़ा तथा दूसरी तरफ संकरा बनाते हुए बड़े पिंजरे या परिवहन व्यवस्था तक ले जाया जाता है ताकि जानवर इसमें प्रवेश कर जाएँ। यह अफ्रीका की एक लोकप्रिय तकनीक है।

• भारतीय वन्य जीव संरक्षण के इतिहास में पहली बार मध्य प्रदेश में इस तकनीक का प्रयोग करते हुए नीलगाय को चंबल नदी के किनारे स्थित गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ा गया। इसी तरह कान्हा टाइगर रिज़र्व व अन्य कई स्थानों पर इसका प्रयोग किया गया है।

• हाल ही में, राजस्थान के भरतपुर जिले के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में चित्तीदार हिरणों (Spotted Deer) को पकड़ने एवं मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करने के लिये इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।

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