‘बोस-आइंस्टीन कंडनसेट’ (BEC) को पदार्थ की पाँचवी अवस्था भी कहा जाता है। यह अत्यंत क्षण-भंगुर अवस्था है। पदार्थ की चार अन्य अवस्थाएँ- ठोस, द्रव, गैस और प्लाज़्मा हैं।
- कुछ तत्वों के परमाणुओं को परम शून्य ताप (0 K, - 273.15 0C) के दस लाखवें भाग तक ठंडा करने पर बी.ई.सी. को निर्मित किया जा सकता है। ये परमाणु के गैसीय बादल होते हैं, जो कि पृथक परमाणु की तरह कार्य करना बंद कर देते हैं और एक समूह की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
- वैज्ञानिकों का विश्वास है कि बी.ई.सी. डार्क एनर्जी जैसी कई अनसुलझी परिघटनाओं की व्याख्या के लिये महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान कर सकता हैं। ब्रह्माण्ड के त्वरित विस्तार के लिये ज़िम्मेदार अज्ञात ऊर्जा को डार्क एनर्जी कहा जाता है। बी.ई.सी. का उपयोग मैक्रोस्कोपिक स्तर पर क्वांटम यांत्रिकी का अध्ययन करने के लिये भी किया जाता है।
- बी.ई.सी. के अस्तित्व की अवधारणा भारतीय गणितज्ञ व भौतिकशास्त्री सत्येंद्र नाथ बोस तथा जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रस्तुत की गई थी। सत्येंद्र नाथ बोस क्वांटम सांख्यिकी के क्षेत्र में शुरूआती अनुसंधान के लिये प्रसिद्ध हैं।
- उल्लेखनीय है कि ‘नासा’ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रुबिडियम (Rubidium) तत्त्व के प्रयोग द्वारा बी.ई.सी. निर्माण सम्बंधी अध्ययन को हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।