हाल ही में, असम के चार-चपोरी क्षेत्र के लोगों की संस्कृति और विरासत को दर्शाने हेतु प्रस्तावित मियां संग्रहालय को श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र परिसर में शामिल करने को लेकर विवाद बढ़ गया है।
वस्तुतः असम के कुछ राजनीतिज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र के लोगों की कोई पृथक संस्कृति व पहचान नहीं है बल्कि इनमें से अधिकांश लोग बांग्लादेश से पलायन करके आए थे, अतः श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र (जो असमिया संस्कृति का प्रतीक है) में इनको एक पृथक पहचान देने से विकृति उत्पन्न हो सकती है।
‘चार’ ब्रह्मपुत्र नदी पर तैरता हुआ द्वीप है, जबकि ‘चपोरी’ बाढ़-सम्भावित निचले नदी-तटों पर स्थित क्षेत्र है। ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह के कारण ये दोनों क्षेत्र अपना आकार परस्पर एक- दूसरे में बदलते रहते हैं। इस क्षेत्र के लोगों को मिट्टी के कटाव, बाढ़, अशिक्षा, अवैध-प्रवसन, उच्च जनसंख्या वृद्धि और उनके विरुद्ध घृणित अपराध सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनकी आबादी का 80% हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहा है।
इन्हें बंगाली मूल के मुस्लिमों जिन्हें 'मियां' के नाम से जाना जाता है, के द्वारा बसाया गया है। इन पर मुख्यतः बंगाली मूल के मुसलमानों का कब्ज़ा है, लेकिन अन्य समुदायों जैसे मिसिंग, देओरिस, कोचरिस तथा नेपाली भी यहाँ निवास करते हैं।
इस समुदाय का पलायन वर्ष 1826 में असम की ब्रिटिश उद्घोषणा के साथ शुरू हुआ जो वर्ष 1971 के विभाजन तथा बांग्लादेश मुक्ति युद्ध तक जारी रहा, जिससे इस क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना में व्यापक परिवर्तन हुआ।