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क्रास्पेडोट्रोपिस ग्रेटाथनबर्ग (Craspedotropis Gretathunbergae)

वैज्ञानिकों ने घोंघे की एक नई प्रजाति की खोज की है। इसका नाम ‘क्रास्पेडोट्रोपिस ग्रेटाथनबर्ग’ (Craspedotropis gretathunbergae) रखा गया है। यह नाम स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्त्ता ग्रेटा थनबर्ग के नाम पर रखा गया है।

  • घोंघे की यह प्रजाति ‘केनोगैस्ट्रोपॉड’ (Caenogastropoda) समूह से सम्बंधित है, जो उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में पाई जाती है। इस पर सूखा, तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव तथा जंगलों की कटाई का व्यापक असर पड़ता है।
  • यह स्थलीय घोंघे (Land snail) की एक प्रजाति है, इसकी लम्बाई दो मिलीमीटर होती है तथा शरीर हल्के पीले रंग का होता है।
  • इसका आवरण (Shell) अवतलाकार है, जिसका बाह्य भाग हरे एवं भूरे रंग का होता है। यह आवरण धूप व सूखे से बचाव के लिये आवश्यक सुरक्षा कवच है, जो प्रायः कैल्शियम कार्बोनेट का बना होता है
  • नई प्रजाति के ये घोंघे ब्रुनेई के कुआला ‘बेलालॉन्ग फील्ड स्टडीज़ सेंटर’ के करीब पाए गए हैं। इनसे सम्बंधित अध्ययन ‘बायोडायवर्सिटी डाटा जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि घोंघे की विभिन्न प्रजातियों का उपयोग कृषि और भोजन हेतु किया जाता है। भोजन के रूप में घोंघा-पालन को ‘हेलिसीकल्चर’ (Heliciculture) नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, घोंघे का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में भी होता है।
  • स्थलीय घोंघे के अतिरिक्त समुद्री घोंघे और मीठे पानी के घोंघे की प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
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