करेंसी मैनिपुलेशन एक नीतिगत प्रक्रिया है। इसके माध्यम से, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुचित लाभ प्राप्ति के लिये साझेदार देशों की सरकारें और केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का जान-बूझकर अवमूल्यन करते हैं। अमेरिकन ट्रेज़री डिपार्टमेंट ऐसे देशों को करेंसी मैनिपुलेटर की सूची में डाल देता है।
व्यापार में अनुचित ढंग से लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से जब कोई देश जान-बूझकर अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है, तो उसकी निर्यात लागत कम हो जाती है। परिणामस्वरूप उस देश के व्यापार घाटे में कमी दिखाई देती है।
हाल ही में, अमेरिका ने चीन, ताइवान आदि देशों के साथ भारत को 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' देशों की 'निगरानी सूची’ (Currency Monitoring watch list) में डाल दिया है। इन देशों के अलावा इस सूची में जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर, थाइलैंड, मलेशिया, वियतनाम और स्विट्ज़रलैंड भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि ये सभी देश अमेरिका के बड़े व्यापारिक साझेदार हैं।
अमेरिका के ट्रेड फैसिलिटेशन एंड ट्रेड इनफोर्समेंट एक्ट, 2015 के अनुसार, यदि कोई देश निम्नलिखित तीन में से दो मानदंडों को पूरा करता है, तो उसे वॉच लिस्ट/निगरानी सूची में डाल दिया जाता है-
यदि अमेरिका के साथ लगातार 12 महीनों से किसी देश का द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष न्यूनतम $ 20 बिलियन है।
यदि वह देश 12 महीनों की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद के कम-से-कम 2% के बराबर चालू खाता अधिशेष की स्थिति में है।
यदि 12 महीनों (या कम-से-कम 6 महीनों) की अवधि में किसी देश द्वारा बार-बार अपने जी.डी.पी. के न्यूनतम 2% के बराबर की विदेशी मुद्रा खरीद की जाती है।