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करेंसी स्वैप

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सुझाव दिया है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों द्वारा कोरोना वायरस से प्रभावित देशों के लिये करेंसी स्वैप व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए।

  • करेंसी स्वैप (मुद्रा की अदला-बदली), दो देशों के मध्य विदेशी विनिमय समझौता है, जिसमें सम्बंधित देश व्यापार भुगतान के लिये स्थानीय मुद्रा का प्रयोग करते हैं। इसमें किसी तीसरी मुद्रा (सामान्यतः डॉलर) की आवश्यकता नहीं पड़ती है , फलतः मुद्रा विनिमय पर व्यय भी नही करना पड़ता है।

लाभ: भारत के संदर्भ में

  • करेंसी स्वैप द्वारा भारत को अपने आयातों का भुगतान करने में आसानी होगी, अवमूल्यन की समस्या दूर होगी तथा भुगतान शेष स्थिर होगा।
  • इसका विदेशी मुद्रा भंडार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और रिज़र्व बैंक द्वारा त्वरित व सही समय पर वित्तीय सहायता देना सम्भव होगा।
  • इसके द्वारा रुपए की विनिमय दर तथा पूंजी बाज़ारों में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है, यह बाज़ार में तरलता बनाए रखने में भी सहायक है।

नोट – वर्ष 2018 में भारत तथा जापान ने 75 अरब डॉलर के करेंसी स्वैप समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके अनुसार दोनों देश अपनी मुद्राओं ( रुपए व येन ) में व्यापार कर सकते हैं।

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