हड़प्पा-युगीन पुरातात्विक स्थल धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल कर लिया गया है। धोलावीरा इस सूची में शामिल होने वाला सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित पहला स्थल है, जबकि गुजरात का चौथा तथा भारत का 40वाँ स्थल बन गया है।
कच्छ ज़िले के धौलावीरा गाँव के समीप एक पहाड़ी पर सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित यह एक दुर्ग स्थित है। पाकिस्तान स्थित मोहन-जो-दारो, गनवेरीवाला एवं हड़प्पा तथा भारत के हरियाणा में राखीगढ़ी के पश्चात् धोलावीरा सिंधु घाटी सभ्यता का पाँचवां सबसे बड़ा महानगर है।
कई अन्य हड़प्पा स्थलों के निर्माण में उपयोग की गई मिट्टी की ईंटों के स्थान पर इस स्थल में एक मज़बूत गढ़, मध्य तथा निचले शहर के निर्माण में बलुआ व चूना पत्थर का उपयोग किया गया है। जलाशयों की एक व्यापक श्रृंखला, बाहरी किलेबंदी, अद्वितीय डिज़ाइन वाले नव द्वार, बौद्ध स्तूप जैसी अर्धगोलाकार संरचनाएँ तथा दो बहुउद्देश्यीय मैदान हैं, जिनका उत्सवों तथा बाज़ार के रूप में उपयोग किया जाता था।
अन्य सिंधु घाटी सभ्यता स्थलों के विपरीत धोलावीरा में मनुष्यों के किसी भी नश्वर अवशेष की प्राप्ति नहीं हुई है। यहाँ प्राप्त ताँबे के स्मेल्टर अवशेषों से धोलावीरा में रहने वाले हड़प्पावासियों को धातु विज्ञान का ज्ञान होने का संकेत मिलता है।