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जिबूती आचार संहिता (Djibouti Code of Conduct – DCOC)

  • अगस्त 2020 में भारत को ‘जिबूती आचार संहिता’ के तहत प्रेक्षक का दर्जा (Observer Status) दिया गया है। डी.सी.ओ.सी. का निर्माण जनवरी 2009 में ‘अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन’ (IMO) के तत्त्वावधान में किया गया था।
  • आई.एम.ओ. के अनुसार वर्तमान में डी.सी.ओ.सी. के सदस्य देशों की संख्या 20 है, जबकि भारत सहित पाँच देशों (जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम व नॉर्वे) को प्रेक्षक देश का दर्जा दिया गया है।
  • इसका मूल उद्देश्य लाल सागर, अदन की खाड़ी, अफ्रीकी महाद्वीप के पूर्वी तटीय देशों तथा हिंद महासागर क्षेत्र के द्वीपीय देशों के मालवाहक जहाजों को समुद्री लुटेरों से सुरक्षा प्रदान करना है। विदित है कि ‘बाब-अल-मंदेब जलसंधि’ लाल सागर को अदन की खाड़ी से जोड़ती है।
  • *वर्ष 2017 में सऊदी अरब के ‘जेद्दा’ में आयोजित सम्मलेन में इस आचार संहिता के उद्देश्यों में संशोधन कर ‘पर्यावरणीय मुद्दों’ को भी इसमें शामिल किया गया। तब से ‘जिबूती आचार संहिता’ को ‘जेद्दा संशोधन’ (Jeddah Amendment) के नाम से भी जाना जाने लगा।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 1948 में अंतर-सरकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया ‘अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन’ संयुक्त राष्ट्र संघ के 17 विशिष्ट अभिकरणों (Specialised Agencies) में से एक है। इसका मुख्यालय लंदन में है। ‘भारत’ वर्ष 1959 में आई.एम.ओ. में शामिल हुआ था और इसी वर्ष इसकी पहली बैठक जिनेवा में आयोजित हुई थी।
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