हाल ही में, अमेरिका स्थित येल विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक 2020 (EPI 2020) का 12वाँ संस्करण जारी किया गया है। यह एक द्विवार्षिक सूचकांक है, इस वर्ष भारत को 168वाँ स्थान मिला है जो वर्ष 2018 (177वाँ) की अपेक्षा 9 स्थान के सुधार को दर्शाता है।
- ई.पी.आई. के अंतर्गत, 10 वर्षों की समयावधि में 11 श्रेणियों में 32 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर 180 देशों को पर्यावरणीय स्वास्थ्य एवं पारितंत्रीय जीवंतता के अनुसार रैंकिंग प्रदान की जाती है। विभिन्न श्रेणियों के प्रदर्शन संकेतकों में भारत को 100 में से 27.6 अंक प्राप्त हुए हैं।
- सूचकांक में, भारत द्वारा सभी मोर्चों पर धारणीयता सम्बंधी विभिन्न जटिल मुद्दों, जैसे- जल एवं वायु की गुणवत्ता, जैव-विविधता तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में दोगुना प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- ई.पी.आई. 2020 में डेनमार्क, लक्ज़मबर्ग व स्विट्ज़रलैंड को क्रमशः पहला, दूसरा व तीसरा स्थान, जबकि लाइबेरिया को अंतिम (180वाँ) स्थान प्राप्त हुआ है। भारत ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य से जुड़े सभी 5 प्रमुख मापदंडों (वायु गुणवत्ता, स्वच्छता, पेयजल, भारी धातुएँ तथा अपशिष्ट प्रबंधन) में क्षेत्रीय औसत से कम स्कोर प्राप्त किया है।
- उल्लेखनीय है कि ई.पी.आई. 2020 की रैंकिंग में अफगानिस्तान को छोड़कर शेष सभी दक्षिण एशियाई देश भारत से आगे हैं। वायु गुणवत्ता एवं स्वास्थ्य (क्रमशः 179वाँ एवं 172वाँ स्थान) के मापदंडों पर भारत का प्रदर्शन सबसे खराब, जबकि मत्स्यन (35वाँ स्थान) में सबसे बेहतर रहा है।