देश में वित्तीय समावेशन की सीमा को अधिकृत करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक समग्र वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) तैयार किया है। इसकी घोषणा वर्ष 2021-22 के लिये पहले द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में की गई थी। इस सूचकांक को प्रत्येक वर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाएगा।
इस सूचकांक को सरकार तथा संबंधित क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक तथा पेंशन क्षेत्र के विवरण को शामिल करते हुए एक व्यापक सूचकांक के रूप में संकल्पित किया गया है। यह सूचकांक 0-100 के मध्य एकल मान के माध्यम से वित्तीय समावेशन के पहलुओं की जानकारी प्रदान करता है, जिसके अनुसार 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण तथा 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।
इसे तीन व्यापक मापदंडों- अभिगम (35%), उपयोग (45%) तथा गुणवत्ता (20%) के आधार पर तैयार किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में कई संकेतकों के आधार पर गणना किये गए आयाम शामिल हैं। सूचकांक में सेवाओं तक पहुँच में सहजता, उपलब्धता, सेवाओं के उपयोग तथा गुणवत्ता के लिये उत्तरदायी सभी 97 संकेतकों को शामिल किया गया है।
इस सूचकांक की एक अनूठी विशेषता इसका गुणवत्ता मापदंड है, जो वित्तीय साक्षरता द्वारा परिलक्षित वित्तीय समावेशन के गुणवत्ता पहलू, उपभोक्ता संरक्षण तथा सेवाओं में असमानता व कमियों को प्रदर्शित करता है। इस सूचकांक का निर्माण बिना किसी ‘आधार वर्ष’ के किया गया है, जिससे यह वित्तीय समावेशन की दिशा में सभी हितधारकों के वर्षों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है।