फाइव आइज़ संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड का एक खुफिया गठबंधन है। इसे वर्ष 1941 में यू.के-यू.एस.ए. समझौते के रूप में अनौपचारिक रूप से स्थापित किया गया था, किंतु इसकी औपचारिक शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् वर्ष 1946 में की गई थी।
सर्वप्रथम, यू.एस.ए. और यू.के. द्वारा विदेशी राष्ट्रों की सैन्य व संचार सम्बंधी खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान के लिये इसकी स्थापना की गई थी। वर्ष 1948 में कनाडा तथा वर्ष 1956 में ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड इसमें शामिल हो गए। अमेरिकी कांग्रेस ने इस खुफिया गठबंधन में तीन अन्य लोकतांत्रिक देशों- भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को जोड़ने की मांग की है।
नाइन आइज़ देशों में फाइव आइज़ देशों के साथ-साथ डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड एवं नॉर्वे, जबकि फोर्टीन आइज़ देशों में नाइन आइज़ देशों के साथ-साथ जर्मनी, इटली, बेल्जियम, स्वीडन तथा स्पेन शामिल हैं। इसे सीनियर्स यूरोप (SSEUR) के रूप में भी जाना जाता है।
फाइव आइज़ गठबंधन सदस्य देशों के नागरिकों की निगरानी करने के लिये संचार विधि के रूप में सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) का उपयोग करता है। इसका मुख्य कार्य सदस्य देशों के बीच खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान को समन्वित करना है।
हाल ही में चीन के विरोधियों को हांगकांग में सांसद नहीं चुने जाने सम्बंधी विवाद पर विरोध दर्ज करने के कारण चीन द्वारा पश्चिमी देशों को धमकी दी गई है। अमेरिका की अगुवाई में फाइव आइज़ देशों ने चीन से जनप्रतिनिधि चुनाव के सम्बंध में हांगकांग के लोगों के अधिकारों को कम नहीं करने की बात कही है।