‘गलवान घाटी’ पूर्वी लद्दाख में भारत तथा चीन के कब्ज़े वाले अक्साई चिन के मध्य स्थित है। भारत व चीन के बीच विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (LAC) को पश्चिमी, मध्य और पूर्वी नामक तीन सेक्टरों में विभाजित किया गया है। गलवान घाटी पश्चिमी सेक्टर का हिस्सा है।
- इस घाटी में बहने वाली गलवान नदी का स्रोत चीन के नियंत्रण वाले अक्साई चिन में है। यह पूर्व की ओर लद्दाख तक बहती है तथा भारतीय हिस्से में पश्चिम की ओर से श्योक नदी में मिल जाती है। गलवान घाटी का काफी हिस्सा चीन द्वारा शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र के रूप में नियंत्रित है।
- लद्दाख में इस नदी के पश्चिमी छोर से होकर दारबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क गुजरती है, जो काराकोरम दर्रे के दक्षिण में स्थित भारत की अंतिम चौकी दौलत बेग ओल्डी को जोड़ती है।
- वर्ष 1890 के दशक में इसकी खोज करने वाले लद्दाखी व्यक्ति गुलाम रसूल गलवान के नाम पर इसका नाम गलवान घाटी पड़ा। श्योक और गलवान के संगम से 3 किमी. पूर्व में सेना द्वारा एक पुल का निर्माण किया गया है।
- पाकिस्तान, चीन के शिनजियांग व लद्दाख की सीमा के साथ लगे होने के कारण यह क्षेत्र सामरिक रूप से बेहद महत्त्वपूर्ण है तथा अक्साई चिन पठार तक पहुँचने के लिये आवश्यक है।
- उल्लेखनीय है कि गलवान घाटी में जून के मध्य में भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसे कारगिल युद्ध के बाद भारत के लिये सबसे गम्भीर राष्ट्रीय सुरक्षा संकट माना जा रहा है।