गुडुची (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है, जिसे गिलोय के नाम से भी जाना जाता है। इसमें यकृत को सुरक्षा प्रदान करने वाले गुण (Hepato-Protective Properties) पाए जाते हैं। लंबे समय से आयुष प्रणाली के तहत चिकित्सीय अनुप्रयोगों में प्रयुक्त गुडुची को विभिन्न लागू प्रावधानों के अनुसार विनियमित किया जाता है।
इसका तना हरे रंग का तथा पत्ते आधार पर ग्रोवी नॉच के साथ दिल के आकार के होते हैं। इसी के समान दिखने वाले टिनोस्पोरा क्रिस्पा के विपरीत इसके तने से कोई स्राव नहीं होता है। इस पर गोलाकार लाल रंग के ड्रुप्स अर्थात् फलों के गुच्छे पाए जाते हैं।
गिलोय में गिलोइन तथा पामेरिन नामक ग्लूकोसाइड एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है। इसमें कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम तथा मैगनीज़ भी प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी एवं कैंसर रोधी गुणों के कारण इसका उपयोग ज्वर, पीलिया, गठिया, मधुमेह, अपच तथा यकृत संबंधी रोगों के निदान में किया जाता है।
आयुष मंत्रालय ने सोशल मीडिया तथा कुछ वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों में गुडुची के उपयोग को लेकर सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया है। टिनोस्पोरा की विभिन्न प्रजातियाँ उपलब्ध हैं, किंतु चिकित्सा की दृष्टि से केवल टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया का उपयोग सुरक्षित है, जबकि टिनोस्पोरा क्रिस्पा का उपयोग हानिकारक हो सकता है।