तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्से पर कब्ज़ा करने के कुछ ही दिनों में आतंकवादियों ने हज़ारा समुदाय की अनौपचारिक राजधानी बामियान प्रांत में शिया मिलिशिया नेता अब्दुल अली मज़ारी की एक प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया है। इससे पूर्व हज़ाराओं के नेता मजारी को वर्ष 1995 में तालिबान द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया था।
हज़ारा एक नृजातीय व धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है, जो मुख्यतः मध्य अफगानिस्तान के बीहड़ व पहाड़ी हज़राजत क्षेत्र में रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि वे चंगेज खान तथा उनकी सेना के वंशज थे, जिन्होंने 13वीं शताब्दी के दौरान पूरे क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था।
हज़ारा अफगानिस्तान के सबसे बड़े नृजातीय अल्पसंख्यकों समुदायों में से एक हैं, जिनकी आबादी देश की कुल 38 मिलियन जनसंख्या का लगभग 10-12% है। तालिबान द्वारा उन्हें मुख्य रूप से इस्लाम की सुन्नी शाखा का पालन करने वाले अधिकांश अफगानों के विपरीत शिया मुसलमान होने के कारण लक्षित किया जाता है। इनकी विशिष्ट एशियाई विशेषताएँ तथा हज़ारगी नामक फ़ारसी बोली का उपयोग भी इन्हें देश के अन्य भागों से अलग करता है।
वर्ष 1773 के आसपास हज़राजत पहाड़ी क्षेत्र पर कब्ज़ा कर इसे पश्तून शासक अहमद शाह दुर्रानी के अधीन अफगान साम्राज्य क्षेत्र का भाग बना दिया गया था। पश्तून शासक के अधीन सुन्नी मुस्लिम बहुमत के परिणामस्वरूप शिया हज़ारा समुदाय इस हद तक हाशिए पर चला गया कि 18 वीं-19 वीं शताब्दी में उन्हें मध्य अफगानिस्तान के उपजाऊ तराई क्षेत्र को छोड़कर शुष्क पहाड़ी क्षेत्र में जाकर बसने को मजबूर होना पड़ा था।