हम्पबैक माहसीर मीठे पानी की एक बड़ी मछली है जो केवल कावेरी बेसिन की नदियों- काबिनी, भवानी तथा पाम्बर में पाई जाती है। 1.5 मीटर लम्बी तथा लगभग 55 किग्रा. वज़न वाली इस मछली को इसकी लड़ने की क्षमता के कारण ‘टाइगर ऑफ द वॉटर’ के नाम से भी जाना जाता है।
यह माहसीर की 16 मान्य प्रजातियों में से एक है। यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की नदियों में पाई जाने वाली साइप्रिनिड मछलियों (Cyprinid Fishes) के एक समूह से सम्बंधित है। इसे आई.यू.सी.एन. की रेड डाटा सूची में गम्भीर संकटापन्न (Critically Endangered) श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है।
इसका वैज्ञानिक नाम तोर-रमादेवी है। केरल में चिनार वन्यजीव अभयारण्य के जल निकायों में पाई जाने वाली माहसीर की आनुवंशिक और रूपात्मक विशेषताओं से समानता के कारण इसे 'हम्पबैक माहसीर' नाम दिया गया। इनका प्रजनन काल जनवरी से शुरू होता है, अतः इन्हें दिसम्बर में ही सुरक्षित कर दिया जाता है।
पारिस्थितिकी तंत्र में माहसीर की महत्त्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक वन विभाग ने इसे संरक्षित करने के लिये 'कर्नाटक मत्स्य विकास निगम' के साथ समन्वय करने का निर्णय लिया है। ध्यातव्य है कि कर्नाटक मत्स्य विभाग, राज्य में स्थित हरंगी जलाशय में नीले पंखों वाले माहसीर के प्रजनन और प्रवर्द्धन के लिये पहले से ही कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके संरक्षण के लिये शोआल नामक संगठन ‘प्रोजेक्ट माहसीर’ पर काम कर रहा है।
इससे पूर्व, हम्पबैक माहसीर शिमशा बांध डाउनस्ट्रीम, संगम बिंदु और गैलीबोर में बड़ी संख्या में पाई गई थी, किंतु अब इनकी संख्या में अत्यधिक कमी आई है। मत्सय विभाग इनके संरक्षण के लिये कावेरी और कृष्णा नदियों में इनके पालन की योजना बना रहा है।