केंद्रीय गृह मंत्री की उपस्थिति में, असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने वाले ऐतिहासिक ‘कार्बी आंगलॉन्ग समझौते’ पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता ‘कार्बी आंगलॉन्ग स्वायत्त परिषद्’ (KAAC) को अधिक स्वायत्तता हस्तांतरित करने तथा कार्बी लोगों की भाषा, संस्कृति, पहचान आदि की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात करता है। इसके अलावा, यह असम की क्षेत्रीय व प्रशासनिक अखंडता को प्रभावित किये बिना परिषद् क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
यह समझौता प्रधानमंत्री के ‘उग्रवाद मुक्त समृद्ध पूर्वोत्तर’ दृष्टिकोण के अनुरूप है। ‘कार्बी सशस्त्र समूह’ हिंसा त्यागने तथा देश में विधि द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिये सहमत हुए हैं। इसमें सशस्त्र समूह संवर्गों के पुनर्वास का प्रावधान भी किया गया है।
इस समझौते के साथ 1000 से अधिक सशस्त्र संवर्गों ने हिंसा का त्याग किया तथा समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अगले पाँच वर्षों में कार्बी क्षेत्र के विकास के लिये विशेष परियोजनाएँ प्रारंभ करने हेतु 1000 करोड़ रुपये का विकास पैकेज दिया जाएगा।
के.ए.ए.सी. क्षेत्र से बाहर रहने वाले कार्बी लोगों के विकास के लिये असम सरकार एक ‘कार्बी कल्याण परिषद्’ की स्थापना करेगी। के.ए.ए.सी. क्षेत्र के लिये संसाधन सुनिश्चित करने हेतु राज्य की संचित निधि में वृद्धि भी की जाएगी। समेकित रूप में यह समझौता के.ए.ए.सी. को अधिक विधायी, कार्यकारी, प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियाँ देने का प्रस्ताव करता है।