केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिये ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों से संबंधित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत किये गए किगाली संशोधन के अनुसमर्थन को स्वीकृति दे दी है। इस संशोधन को अक्तूबर 2016 में रवांडा के किगाली में आयोजित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों की 28वीं बैठक के दौरान अंगीकृत किया गया था।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संधि है। इसके तहत ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन व खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रयास किया जाता है। भारत 19 जून, 1992 से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का एक पक्षकार है। भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुसार सभी ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया है।
भारत हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिये सभी उद्योग हितधारकों के साथ आवश्यक परामर्श करके वर्ष 2023 तक राष्ट्रीय रणनीति तैयार करेगा और किगाली संशोधन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2024 के मध्य तक वर्तमान विधिक ढाँचे ‘ओज़ोन क्षयकारी पदार्थ (विनियमन एवं नियंत्रण) नियमों’ में संशोधन करेगा। भारत हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को वर्ष 2032 से 4 चरणों 2032-10%, 2037-20%, 2042-30% तथा 2047-80% में संचयी कमी के साथ पूरा करेगा।
इससे ग्रीनहाउस गैसों के समान कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन को 105 मिलियन टन तक कम करने की उम्मीद है, जिससे वर्ष 2100 तक वैश्विक तापमान में वृद्धि को 0.5 डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकेगा। साथ ही, इससे ओज़ोन परत के क्षरण को रोकने में भी मदद मिलेगी। समतापमंडल में पायी जाने वाली ओज़ोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से मानव व पर्यावरण की रक्षा करती है।