वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् ने राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) के सहयोग से देश के भूजल संसाधनों में वृद्धि करने के लिये उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्रों में उच्च संकल्प जलभृत मानचित्रण एवं प्रबंधन का कार्य शुरू किया है।
सी.एस.आई.आर. तथा एन.जी.आर.आई. द्वारा विकसित हेली-जनित भू-भौतिकीय मानचित्रण तकनीक ज़मीन के नीचे 500 मी. की गहराई तक उप-सतह की उच्च विभेदन त्रिआयामी छवि प्रदान करने में सक्षम है। यह तकनीक लागत प्रभावी तरीके से देश के शुष्क क्षेत्रों में विशाल भूजल संसाधनों का कम समय में सटीक चित्रण करने में उपयोगी है।
141 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से संचालित इस योजना के तहत 1.5 लाख वर्ग किमी. से अधिक क्षेत्र के मानचित्रण का कार्य वर्ष 2025 तक पूरा किया जाएगा। इस परियोजना का अंतिम उद्देश्य भूजल निकासी व संरक्षण के लिये संभावित स्थलों का मानचित्र बनाना है।
भूजल स्रोतों के मानचित्रण से पेयजल के रूप में भूजल का उपयोग करने तथा प्रधानमंत्री के हर घर नल से जल मिशन के पूरक के रूप में कार्य करने में मदद मिलेगी।