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‘ऑपरेशन ओलिविया’ (Operation Olivia)

  • ‘ऑपरेशन ओलिविया’ भारतीय तटरक्षक बल द्वारा ओडिशा तट पर संचालित एक परियोजना है, जिसकी शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी। यह ऑपरेशन लुप्तप्राय ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की रक्षा करने में मदद करता है, जो नवंबर से दिसंबर के मध्य प्रजनन के लिये एकत्र होते हैं।
  • भारतीय तटरक्षक बल तेज़ गश्ती विमानों, इंटरसेप्टर क्राफ्ट तथा डोर्नियर विमान की सहायता से नवंबर से मई तक इन कछुओं की सुरक्षा निगरानी करते हैं। ‘उड़ीसा समुद्री मात्स्यिकी अधिनियम’ तटरक्षक बल को एक प्रवर्तन एजेंसी के रूप में सशक्त बनाता है।
  • ओलिव रिडले कछुए मुख्यतः प्रशांत, अटलांटिक तथा हिंद महासागर में पाए जाते हैं। ओडिशा का गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य विश्व में समुद्री कछुओं का सबसे बड़ा प्रजनन स्थल है। ये कछुए भोजन व प्रजनन के लिये हज़ारों किमी. की दूरी तय करते हैं। ओलिव रिडले (Lepidochelys olivacea) को आई.यू.सी.एन. की रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) श्रेणी के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।
  • समुद्री कछुओं तथा उनके आवास के संरक्षण के संबंध में जागरूकता का प्रसार करने के लिये प्रत्येक वर्ष 16 जून को ‘विश्व समुद्री कछुआ दिवस’ का आयोजन किया जाता है। कछुए भारत के तटीय राज्यों ओडिशा, चेन्नई तथा महाराष्ट्र में पाए जाते हैं।
  • भारत में पाए जाने वाली समुद्री कछुओं की पाँचों प्रजातियों को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I तथा वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय की परिशिष्ट I में शामिल किया गया है।
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