जब छवियाँ अपने वास्तविक रूप से भिन्न दिखती हैं तो इसे ‘ऑप्टिकल इल्यूज़न’ (या दृश्य भ्रम) कहा जाता है। इस प्रक्रिया में मानव नेत्र द्वारा देखी गई किसी रचना या कृति की व्याख्या मस्तिष्क द्वारा इस तरह से की जाती है कि उसका स्वरुप, वास्तविक छवि की भौतिक माप से विपरीत या भिन्न दिखाई देता है।
ऑप्टिकल इल्यूज़न मुख्यतः तीन प्रकार से हो सकता है- शाब्दिक, शारीरिक तथा संज्ञानात्मक। अक्सर इनका प्रयोग वयस्क तथा बच्चों के लिये मानसिक व्यायाम के रूप में किया जाता है।
इस प्रक्रिया में मनुष्य को दृश्यता संबंधी भ्रम उत्पन्न होता है, इससे नेत्रों व मस्तिष्क के एक-साथ कार्य करने की प्रक्रिया का पता चलता है। मनुष्य त्रि-आयामी जगत में निवास करता है। अतः उसके द्वारा देखी गई किसी वस्तु के संबंध में उसकी गहराई, छायांकन, प्रकाश व्यवस्था तथा स्थिति की संपूर्ण जानकारी एक छवि के रूप में प्रस्तुत करने में मस्तिष्क हमारी मदद करता है।
मृगतृष्णा (Mirage) एक प्रकाशीय घटना है, इसमें प्रकाश की किरण माध्यम के तल पर ऐसे कोण पर आपतित होती है कि उसका परावर्तन उसी माध्यम में हो जाता है, जिसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) कहते हैं। सामान्यतः यह तब होता है, जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करता है तथा आपतन कोण का मान 'क्रान्तिक कोण' से अधिक होता है। इस घटना में सड़कों पर या रेगिस्तान पर पानी के होने का भ्रम होता है। इसे सामान्यतः तेज़ धूप के समय देखा जा सकता है।