पालकी उत्सव 1000 वर्ष पुरानी परंपरा है जिसे महाराष्ट्र के कुछ संतों ने शुरू किया था। इसके अनुयायियों को वारकरी कहा जाता है।
यह महाराष्ट्र में हिंदू देवता विठोबा की पंढरपुर में स्थापित सीट को सम्मान देने के लिये की जाने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा (यात्रा) है।
ये विभिन्न संतों विशेष रूप से ज्ञानेश्वर और तुकाराम की पादुका लेकर पालकी (रथ) लेकर चलते हैं। ज्ञानेश्वर की पालकी आलंदी से तथा तुकाराम की पालकी देहू से शुरू होती है।
यह पूरी प्रकिया ज्येष्ठ माह से शुरू होकर आषाढ़ माह के पहले पहर के ग्यारहवें दिन तक कुल 22 दिन चलती है।
पंढरपुर पहुँचने पर भक्त विठ्ठल मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व चंद्रभागा नदी/भीमा नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं।