परई नीम की लकड़ी एवं भैंस की खाल से निर्मित तमिलनाडु का एक प्रमुख वाद्ययंत्र हैं। इसका वजन 1 से 5 किग्रा. होता है।
इसमें प्रयुक्त ड्रम को कोहनी पर संतुलित करके एक छोटी व एक लंबी दो छड़ियों से बजाया जाता है।
परई को लंबे समय से तमिलनाडु में मृत्यु संस्कारों से संबंधित माना जाता था, इसलिये मृदंगम एवं ताविल जैसे अन्य ताल वाद्य यंत्रों के विपरीत इसे मंदिरों के भीतर नहीं बजाया जाता है।
वर्तमान में युवा कलाकारों का एक समूह परई से जुड़े इस मिथक को दूर करने की कोशिश कर रहा है।