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विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Groups)

हाल ही में, अंडमान की ग्रेट अंडमानी (Great Andamanese) तथा जारवा जनजातियों के कुछ लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। ये दोनों ही जनजातियाँ विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Groups– PVTGs) के रूप में अधिसूचित हैं।

  • गृह मंत्रालय द्वारा 75 जनजातीय समूहों को पी.वी.टी.जी. के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये मुख्यतः 18 राज्यों तथा अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में पाए जाते हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय इनके विकास से जुड़ी योजनाएँ कार्यान्वित करता है।
  • पी.वी.टी.जी. की जनसंख्या स्थिर अथवा घटती जा रही है तथा इनमें साक्षरता का स्तर निम्न है। आर्थिक रूप से अत्यधिक पिछड़े हुए इन समूहों की खाद्य संग्रहण एवं कृषि प्रणाली भी पुरातन है।
  • वर्ष 1973 में ढेबर आयोग द्वारा सबसे कम विकसित जनजातियों को ‘आदिम जनजातीय समूह’ (Primitive Tribal Groups– PTGs) की एक अलग श्रेणी के रूप वर्गीकृत किया गया था।
  • वर्ष 1975 में भारत सरकार द्वारा सबसे कमज़ोर आदिवासी समूहों को पी.वी.टी.जी. (PVTGs) नामक एक पृथक श्रेणी के रूप में चिंहित करने की पहल की गई तथा 52 ऐसे समूहों को अधिसूचित किया गया। वर्ष 1993 में 23 अन्य समूहों को पी.वी.टी.जी. श्रेणी में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2006 में भारत सरकार ने पी.टी.जी. का नाम बदलकर पी.वी.टी.जी. कर दिया था। देश में सूचीबद्ध पी.वी.टी.जी. समूहों की सबसे अधिक संख्या ओडिशा (13) में तथा इसके बाद आंध्र प्रदेश (12) में पाई जाती है।
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