'पिनंगा अंडमानीसिस' दक्षिणी अंडमान द्वीप पर पाए जाने वाले पाम की एक दुर्लभ देशज प्रजाति है। केरल में तिरुवनंतपुरम ज़िले के पलोड गाँव स्थिति जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बोटेनिक गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (JNTBGRI) में इस प्रजाति के पौधों को उगाने में कामयाबी मिली है।
- प्रथम दृष्टया, 'पिनंगा अंडमानीसिस' को विलुप्त घोषित किया जा चुका था। यह सुपारी के पौधे (Areca palm) की तरह दिखता है। इस दुर्लभ प्रजाति के कुल 600 पौधे हैं जो दक्षिण अंडमान के 'हैरियट नेशनल पार्क' में पाए जाते हैं।
- जे.एन.टी.बी.जी.आर.आई. के वैज्ञानिकों ने इसे गम्भीर संकटापन्न (Critically endangered) और अंडमान द्वीपसमूह का अनभिज्ञप्राय देशज पाम घोषित किया है। इस प्रजाति के 'पिनंगा' नाम को मलेशिया के 'पेनांग (Penang) प्रांत' से लिया गया है, जहाँ इस प्रजाति की उत्पत्ति मानी जाती है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1994 में पहली बार भारत की मुख्य भूमि पर पलोड स्थित फील्ड जीन बैंक में 'पिनंगा अंडमानीसिस' के 5-6 पौधे लगाए गए थे, वर्ष 2012 में हाथियों ने इन्हें खाकर पूर्णतः नष्ट कर दिया था, उसके बाद 2014 में पुनः इस प्रजाति के कुछ पौधे यहाँ लगाए गए जो अब पूर्ण विकसित हो गए हैं।
- यद्यपि 'पिनंगा अंडमानीसिस' के उपयोगों के संदर्भ में अभी तक पूर्ण जानकारी हासिल नहीं की जा सकी है। फिलहाल, इसका उपयोग बागान, कृषि फार्म तथा वास-स्थल में पैदल पथ के दोनों-ओर छायादार मार्ग बनाने में किया जाता है।