• 2 अगस्त 2021 को भारत के पेटेंट महानियंत्रक बौद्धिक संपदा द्वारा खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के ‘कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज संस्थान’ (KNHPI) जयपुर को अपने अभिनव प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज के लिये पेटेंट प्रमाणपत्र जारी किया गया है।
• प्रकृति से प्लास्टिक के खतरे को कम करने के लिये विकसित इस कागज को प्रोजेक्ट रिप्लान (REducing PLAstic from Nature) के तहत विकसित किया गया है। यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसके तहत प्लास्टिक कचरे को डि-स्ट्रक्चर्ड, डिग्रेडेड एवं डाइल्यूट करके कागज बनाते समय पेपर पल्प के साथ उपयोग किया जाता है।
• यह तकनीक दोनों उच्च एवं निम्न घनत्व अपशिष्ट पॉलिथीन का उपयोग करती है, जो कागज को अतिरिक्त मज़बूती प्रदान करने के साथ लागत को 34% तक कम करती है। यह उत्पाद पुनःचक्रण योग्य एवं पर्यावरणानुकूल है। के.वी.आई.सी. ने प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित कागज का उपयोग करके कैरी बैग, लिफाफे, फाइल / फोल्डर आदि जैसे कई उत्पाद निर्मित किये हैं।
• यह प्रधानमंत्री के सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरे से निपटने के आह्वान के अनुरूप है। अपशिष्ट-प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित कागज के उत्पादन से स्थायी रोजगार सृजन के साथ पर्यावरण सुरक्षा के दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति होने की संभावना है।