New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

चावल की पोक्कली प्रजाति (Pokkali variety of rice)

चावल/धान की पोक्कली किस्म अपने खारे जल के प्रतिरोध के लिये प्रसिद्ध है। इसका उत्पादन केरल के तटीय ज़िलों अलप्पुझा, एर्नाकुलम व त्रिशूर आदि में किया जाता है।

  • इसकी खेती जून से नवम्बर के बीच खारे पानी के खेतों में की जाती है, इसके बाद इन्हीं खेतों में मत्स्यपालन भी किया जाता है। मत्स्य मल (excreta) व शल्क (Scales) तथा धान के विघटित अवशेष अगले मौसम में धान की खेती के लिये अच्छी प्राकृतिक खाद का काम करते हैं।
  • यह किस्म अपने विशिष्ट स्वाद और अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन के लिये जानी जाती है। अधिक एंटीऑक्सिडेंट और कम कार्बोहाइड्रेट इसे मधुमेह रोगियों के लिये अत्यधिक उपयोगी बनाते हैं।
  • उल्लेखनीय है कि चावल की इस किस्म को जी.आई. टैग प्राप्त है। स्थानीय लोग धान की इस किस्म को औषधीय गुणों से युक्त मानते हैं। अतः कुछ स्थानीय समुदायों, सहकारी बैंकों और मनरेगा समूहों द्वारा चावल की इस किस्म के संरक्षण हेतु अनेक कदम भी उठाए गए हैं।
  • हाल ही में 'अम्फान' चक्रवात के कारण पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र में अधिकतर धान के खेतों में समुद्री खारे जल के भराव की समस्या उत्पन्न हो गई है, इस वजह से पश्चिम बंगाल के दक्षिणी 24 परगना ज़िले के किसान पोक्कली की वाईटिला-11 किस्म के धान की रोपाई कर रहे हैं।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR