यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने तेलंगाना में वारंगल के समीप मुलुगु ज़िले में स्थित 13वीं सदी के रुद्रेश्वर मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया है। अब, यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत के 39 स्थल शामिल हो गए हैं तथा भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण 23 विश्व धरोहर स्थलों का संरक्षक बन गया है।
रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के राजा गणपति देव के सेनापति रेचारला रुद्र द्वारा करवाया गया था। मुख्य मंदिर हैदराबाद से लगभग 220 किमी. दूर पालमपेट में कटेश्वरय्या तथा कामेश्वरय्या मंदिरों की ढह गई संरचनाओं से घिरा हुआ है।
इसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ आसीन देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं। काकतीय साम्राज्य के दौरान स्थापित मंदिर परिसरों में एक विशिष्ट शैली, तकनीक तथा साज-सज्जा का प्रयोग किया गया है, जो काकतीय मूर्तिकला प्रभाव को प्रदर्शित करती है। विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने के लिये इसका नामांकन वर्ष 2014 में किया गया था।
इस मंदिर का आधार ‘सैंडबॉक्स तकनीक’ से निर्मित है। इसके फर्श पर ग्रेनाइट तथा स्तंभों के निर्माण में बेसाल्ट का उपयोग किया गया है। मंदिर के निचले भाग के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर जबकि ‘गोपुरम’ को बनाने के लिये कम भार वाली ईंटों का उपयोग किया गया है, जो कथित तौर पर जल में तैर सकती हैं।