‘सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण’ मूल रूप से SARS-CoV-2 वायरस के विरुद्ध विशिष्ट एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाने के लिये किया गया ‘रक्त परीक्षण’ है। चूँकि, संपूर्ण आबादी का परीक्षण करना संभव नहीं है, इस कारण रोग के प्रसार का आकलन करने के लिये इसे सामान्यता एक जनसंख्या समूह में किया जाता है।
यह परीक्षण संक्रमण तथा स्वप्रतिरक्षित रोगों (Autoimmune Illnesses) के निदान के लिये किया जाता है। इसमें आई.जी.जी. एंज़ाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट जाँच (ELISA) के माध्यम से कोरोना संक्रमित जनसंख्या के अनुपात का अनुमान लगाया जाता है। इससे किसी व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने का भी पता चलता है।
आई.जी.जी. परीक्षण (IgG Test) तीव्र संक्रमण का पता लगाने के लिये उपयोगी नहीं है। यह अतीत में हो चुके संक्रमणों को एपिसोड के रूप में इंगित करता है। उच्च संवेदनशीलता तथा विशिष्टता के कारण इसे आई.सी.एम.आर. द्वारा अनुमोदित किया गया है।
सर्वेक्षण द्वारा लोगों में एंटीबॉडी के विकास का पता लगने से यह संकेत मिलता है कि संक्रमित व्यक्तियों में बड़ी संख्या में कोविड-19 के लक्षण परिलक्षित ही नहीं हुए। साथ ही, इससे यह जानने में मदद मिलती है कि किस वर्ग-समूह में संक्रमण के लक्षण अधिक उजागर हुए हैं तथा संक्रमण की दर सर्वाधिक है।