हाल ही में, ब्रिटेन के पारसमुद्रीय क्षेत्र, त्रिस्तान दा कून्हा द्वीपसमूह (पृथ्वी पर सबसे दूरस्थ द्वीप) के प्रशासन द्वारा आसपास के 627,247 वर्ग किमी.के महासागरीय क्षेत्र में मछली पकड़ने एवं अन्य निष्कर्षण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है।
इस क्षेत्र में शामिल चार मुख्य द्वीपों में त्रिस्तान दा कून्हा (245 स्थाई निवासी) सबसे बड़ा द्वीप है, जो दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से 2,810 किलोमीटर पश्चिम में अटलांटिक महासागर में स्थित है। इसे डचों द्वारा वर्ष 1643 में खोजा गया तथा ब्रिटेन द्वारा वर्ष 1816 में इस पर अधिकार कर इस क्षेत्र में पहली स्थाई बस्ती की स्थापना की गई।
यह द्वीप लुप्तप्राय रॉकहॉपर पेंगुइन, पीले-नाक वाले अल्बाट्रॉस और अन्य वन्यजीवों को समुद्री संरक्षण प्रदान करता है। इस द्वीप के आसपास का जल इन गम्भीर रूप से लुप्तप्राय समुद्री जीवों के लिये फीडिंग ग्राउंड के रूप में काम करता है। इसका आकार यूनाइटेड किंगडम का तीन गुना है। यह अटलांटिक महासागर में सबसे बड़ा तथा विश्व का चौथा सबसे बड़ा "नो-टेक ज़ोन" होगा।
यह संरक्षित क्षेत्र यू.के. के ब्लू बेल्ट कार्यक्रम का हिस्सा होगा, जो देश के विदेशी क्षेत्रों में समुद्री संरक्षण को बढ़ावा देने का कार्य करता है। इस कार्यक्रम के द्वारा अब तक 11.1 मिलियन वर्ग किमी. समुद्री पर्यावरण (दुनिया के महासागरों का 1% क्षेत्र) को संरक्षित किया गया है।
प्यु बर्टरेली (Pew Bertarelli) परियोजना द्वारा इस द्वीप पर जल को सुरक्षित करने में सहायता मिलेगी। यह परियोजना (प्यू चैरिटेबल ट्रस्ट और बर्टरेली फाउंडेशन का एक संयुक्त उद्यम) विश्व भर में समुद्री भंडारों के निर्माण व सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये समुद्र की स्थिति तथा मछली पकड़ने जैसी मानव गतिविधियों के रियल टाइम डेटा का उपयोग कर उनका मूल्यांकन करती है।