कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिये दिल्ली स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की दो प्रयोगशालाओं, 'डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिज़ियोलॉजी एंड एलायड साइंसेज़' (DIPAS) तथा 'इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलायड साइंसेज़' (INMAS) ने मिलकर एक सेनिटाइज़ेशन बॉक्स विकसित किया है।
- इस बॉक्स का प्रयोग व्यक्तिगत सामग्री जैसे- मोबाइल फोन, टैबलेट, पर्स, पैसे तथा फाइलों या कागज़ को विसंक्रमित करने के लिये किया जाएगा।
- यह सेनिटाइज़ेशन बॉक्स अल्ट्रावॉयलेट-सी (UV-C) प्रकाश पर आधारित है, जिसकी तरंगदैर्ध्य 254 नैनोमीटर है। ध्यातव्य है कि यूवी-सी प्रकाश की तरंगदैर्ध्य लघु, जबकि इसकी ऊर्जा अधिक होती है।
- यह बॉक्स कोविड-19 विषाणु के अनुवांशिक पदार्थों को बेहतर ढंग से नष्ट कर देता है। साथ ही, यह विषाणु की RNA संरचना को भी निष्क्रिय कर देता है जिससे विषाणु स्वयं की अन्य प्रतियाँ नहीं बना सकता है।
- इस बॉक्स में प्रयुक्त अल्ट्रावॉयलेट लैंप में 185 nm का उत्सर्जन होता है जिससे ओज़ोन गैस निर्मित होती है, इससे बॉक्स में रखी वस्तुओं के अदृश्य भाग भी विसंक्रमित हो जाते हैं।
- यह बॉक्स सेनिटाइज़ेशन की अन्य विधियों की तुलना में अधिक उपयोगी व पर्यावरण-अनुकूल है, क्योंकि इसमें किसी भी हानिकारक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है।