विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के एक दल ने उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग ‘विसरल लीशमैनियासिस’ (काला अजार) के विरुद्ध शरीर में बिना सुई के प्रविष्ट हो सकने वाली लागत प्रभावी तथा रोगी के अनुरूप संभावित चिकित्सीय रणनीति विकसित की है।
शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में मौजूद प्राकृतिक आंतरिक विटामिन बी12 मार्ग का उपयोग करते हुए एक त्वरित चुस्त व बुद्धिमान नैनोकैरियर विकसित किया है। यह मानव शरीर में स्थिरता चुनौतियों, औषधि व मादक पदार्थों से संबंधित विषाक्तता को कम करने में सक्षम है। विटामिन बी-12 लेपित, नैनो कैरियर मौखिक दवाओं पर आधारित इस रणनीति ने मौखिक जैव-उपलब्धता तथा उपचार प्रभावकारिता को 90% से अधिक बढ़ा दिया है।
विसरल लीशमैनियासिस एक जटिल संक्रामक रोग है, जो मादा फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाइज़ (मक्खियों) के काटने से फैलता है। इस रोग से प्रति वर्ष लाखों लोग प्रभावित होते हैं, जिस कारण यह मलेरिया के बाद दूसरा सबसे सामान्य प्राणघातक परजीवी रोग बन जाता है।
नवीन शोध के अनुसार विटामिन बी12 एक आवश्यक जीवनरक्षक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो सबसे उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग से जुड़े विषाक्त दुष्प्रभावों को कम करने के साथ इसके उपचार तथा रोकथाम के लिये एक अनूठे व लाभकारी पूरक के रूप में कार्य करता है। यह संक्रमण के जोखिम को कम करने के साथ व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि करता है।