‘वाटर-फॉर-एनर्जी स्वैप’, इजराइल और जॉर्डन के बीच संपन्न हुआ एक जलवायु समझौता है। यह पानी और सौर ऊर्जा के आदान-प्रदान से संबंधित है।
पानी की कमी का शिकार जॉर्डन, इजराइल को लगभग 600 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादित विद्युत का निर्यात करेगा, जिसके बदले वह इजराइल से 200 मिलियन क्यूबिक मीटर तक अलवणीकृत जल प्राप्त करेगा।
जॉर्डन, लाल सागर के साथ काफ़ी छोटी सीमा साझा करता है। ऐसे में, यहाँ विलवणीकरण संयंत्र स्थापित करना संभव नहीं है, किंतु जॉर्डन एक विशाल रेगिस्तानी देश है और यहाँ की परिस्थितियाँ सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के अनुकूल हैं।
इजराइल, भूमध्य सागर के साथ एक लंबी तटरेखा बनाता है। साथ ही, यह समुद्री जल को अलवणीकृत करने की तकनीक में एक अग्रणी देश है। उल्लेखनीय है कि इजराइल ने वर्ष 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा माँग का 30% नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता न सिर्फ दोनों देशों की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी मदद करेगा।