वर्ष 1999 में, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्र एजेंसी के रूप में वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) की स्थापना की गई थी। इसका वित्तपोषण खेल जगत के साथ-साथ विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा किया जाता है। वाडा, खेल जगत में ड्रग उपयोग के विरुद्ध निगरानी के लिये एक कार्यान्वयन एजेंसी है। इसका मुख्यालय कनाडा के मॉन्ट्रियल में है।
इसकी प्रमुख गतिविधियों में वैज्ञानिक अनुसंधान, एंटी-डोपिंग क्षमताओं का विकास और 'वर्ल्ड एंटी-डोपिंग कोड' की निगरानी शामिल हैं। वर्ल्ड एंटी-डोपिंग कोड सभी देशों और विभिन्न खेलों से संबंधित डोपिंग-रोधी नीतियों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने वाला प्रमुख दस्तावेज़ है।
खेलों में डोपिंग पर पहला वैश्विक सम्मेलन वर्ष 1999 में लुसाने, स्विट्ज़रलैंड में आयोजित हुआ था। इसे लुसाने घोषणा के नाम से जाना जाता है। इसके बाद वर्ष 2000 में सिडनी में आयोजित हुए 27वें ओलंपिक खेलों का परिचालन वाडा के तत्त्वावधान में किया गया।
हाल ही में, भारत ने वाडा को वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया है। भारत का यह योगदान चीन, सऊदी अरब और मिस्र सहित अन्य देशो में सबसे अधिक है।
उल्लेखनीय है कि वाडा के अंतर्गत 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर से एक कोष का निर्माण किया जाएगा। इसके वित्तीयन में जितनी राशि सभी सदस्य राष्ट्रों द्वारा दी जाएगी, उतनी ही राशि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा दी जाएगी। इसके गठन का निर्णय काटोविस, पोलैंड में वर्ष 2019 में आयोजित वाडा के पाँचवें वैश्विक सम्मेलन ‘डोपिंग इन स्पोर्ट’ में लिया गया था।