पुणे स्थित अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक शोध मॉडल के रूप में ज़ेब्राफिश का उपयोग कर एक ऐसे जीन की पहचान की है, जो हृदय को पुनर्विकसित करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने इस पशु मॉडल का उपयोग करते हुए हृदय पुनर्विकास की प्रक्रियाओं को डिकोड करने का प्रयास किया है।
ज़ेब्राफिश उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली 2 से 3 सेंटीमीटर लम्बी मीठे पानी की मछली है, जो कुशलता से थोड़े समय के अंदर अपने क्षतिग्रस्त हृदय को पुनर्विकसित करने में सक्षम है। यह मछली दक्षिण-एशिया के इंडो-गंगा मैदानों की मूल प्रजाति है, जहाँ ये अधिकतर धान के खेतों तथा स्थिर जलधाराओं में पाई जाती है।
तीन महीने में वयस्कता प्राप्त करने वाली इस मछली को प्रयोगशाला में 2-3 वर्षों तक जीवित रखा जा सकता है। भ्रूणावस्था के दौरान पारदर्शिता इसकी विशिष्ट विशेषता है, जिससे हृदय, रक्त परिसंचरण सहित सभी अंगों का निरीक्षण किया जा सकता है।
मस्तिष्क, हृदय, आँख, रीढ़ की हड्डी सहित लगभग सभी अंगों की पर्याप्त पुनर्विकास क्षमता के कारण ज़ेब्राफिश विकासात्मक शोध जीवविज्ञानियों के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह एक्वैरियम में रखने के लिये एक लोकप्रिय मछली है, जिसका व्यापारिक नाम डैनियो है।
लगभग दो दशक पहले ड्यूक विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने पहली बार ज़ेब्राफिश की हृदय पुनर्विकास क्षमता का अवलोकन किया था। वर्षों के प्रयासों के बाद सेलुलर कम्युनिकेशन नेटवर्क फैक्टर 2a (ccn2a) नामक एक जीन की पहचान करने में सफलता मिली है, जो कार्डियोमायोसाइट के प्रसार (Cardiomyocyte Proliferation) को बढ़ाकर हृदय को पुनर्विकसित करने में मदद कर सकता है। यह जीन ट्रांज़िएंट कोलेजनस फाइब्रोटिक स्कार को विघटित कर देता है, परिणामस्वरूप तेज़ी से पुनर्विकास होता है।