केस स्टडी
आप वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। आपकी छवि एक कर्मठ, समय के पाबंद और ईमानदार अधिकारी की है। आप किसी भी कार्य को दबाव-मुक्त रहते हुए गुणवत्तापूर्ण तरीके से करने के लिये जाने जाते हैं। आपके पास विद्युत मंत्रालय की एक परियोजना की फाइल पर्यावरणीय मंजूरी के लिये आती है। अपनी जाँच में आप पाते हैं कि यदि इस परियोजना को वर्तमान स्वरूप में स्वीकृति दी जाती है तो पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी होना तय है। फिर भी आपके कनिष्ठ अधिकारियों ने परियोजना को स्वीकृति देते हुए फाइल आपके पास भेज दी है। जब आप नियमानुरूप कार्य करते हैं तो न सिर्फ आपके वरिष्ठ अधिकारी बल्कि मंत्री महोदय भी आप पर दबाव डालते हैं कि आप परियोजना को इसी स्वरूप में जल्दी से जल्दी मंजूरी दें। दरअसल, विद्युत मंत्रालय की इस परियोजना से कुछ स्थानिक वन्यजीवों के आवास क्षतिग्रस्त होने की संभावना है। परियोजना के लागू होने पर इनकी पूर्ण विलुप्ति का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। इसके अलावा, यह परियोजना निर्वनीकरण व नदी प्रदूषण संबंधी समस्याएँ भी उत्पन्न करेगी। यद्यपि आप यह भी जानते हैं कि जिस क्षेत्र में यह परियोजना प्रस्तावित है, वहाँ गरीबी चरम स्तर पर है और यह परियोजना बड़ी संख्या में रोज़गार सृजित करेगी। इससे न सिर्फ उस क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा, अपितु देश के विकास को भी गति मिलेगी। मीडिया भी इस परियोजना के सकारात्मक पक्षों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर रही है। इससे उस क्षेत्र के लोग न सिर्फ खुश हैं, बल्कि इस परियोजना के क्रियान्वित होने का इंतज़ार कर रहे हैं। ऐसे में, कुछ लोग आपको अनावश्यक गतिरोध उत्पन्न करने वाले व्यक्ति के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि आप अंतर-मंत्रालयी कार्य को जान-बूझकर सहजतापूर्वक संचालित नहीं होने देना चाहते हैं।
उक्त परिस्थिति के आलोक में निम्नलिखित प्रश्नों के तर्कपूर्ण उत्तर दीजिये–
i. आप अपने खिलाफ किये जा रहे दुष्प्रचार से कैसे निपटेंगे?
ii. आप पर्यावरणीय नियमों व परियोजना के सकारात्मक लाभों में से किसे प्राथमिकता देंगे और क्यों? (250 शब्द)
20-Jan-2021 | GS Paper - 4
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