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Sanskriti Mains Mission: GS Paper - 4

“प्रत्येक गति, प्रगति नहीं होती। किसी भी ‘गति’ को ‘प्रगति’ की अवस्था प्राप्त करने के लिये उसका नैतिक गुणों से परिपूर्ण होना अनिवार्य है।” सोदाहरण चर्चा करें। (250 शब्द)

30-Sep-2020 | GS Paper - 4

Solutions:

उत्तर-प्रारूप

भूमिका (30-35 शब्द)

नैतिक गुणों के आधार पर गति व प्रगति के मध्य का अंतर स्पष्ट करें।

मुख्य भाग (175-180 शब्द)

  • नैतिक मूल्यों से विहीन ‘गति’ का उदहारण दें, जिसने सर्वथा मानवता का नाश किया, जैसे- नेपोलियन, हिटलर व मुसोलिनी का तीव्र उभार, भ्रष्ट शासन व्यवस्थाएँ, असंधारणीय विकास इत्यादि।
  • नैतिक मूल्यों से युक्त गति अर्थात् ‘प्रगति’ का उदहारण दें, जिसने मानवता की भलाई सुनिश्चित की, जैसे- विभिन्न देशों के अंतरिक्ष कार्यक्रम, लोकतांत्रिक प्रगति के रूप में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार आदि।
  • भारतीय परिप्रेक्ष्य में उदाहरण देते हुए स्पष्ट करें कि किस तरह तेज़ी से फैले भ्रष्टाचार ने देश की आर्थिक गति को अवरुद्ध किया, तो वहीं गांधीजी ने निरंतर नैतिक गति/बल के माध्यम से देश की भलाई हेतु कार्य किया।

निष्कर्ष (30-35 शब्द)

‘गति’ की अपेक्षा नैतिक गति यानी ‘प्रगति’ का समर्थन करते हुए उत्तर की समाप्ति करें।

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